Radhika Viswanathan, Executive Director, Deloitte Haskins & Sells LLP
Radhika Viswanathan, Executive Director, Deloitte Haskins & Sells LLP
Pension Contributions : सुप्रीम कोर्ट के ज्यादा पेंशन कंट्रीब्यूशन से जुड़े आदेश पर खासी चर्चा हुई है। क्या यह एम्प्लॉइज पेंशन स्कीम (Employees’ Pension Scheme) यानी EPS के मेंबर्स के लिए अच्छी खबर है? आखिर इस फैसले के क्या मायने हैं? एम्प्लॉइज हर महीने अपने वेतन का लगभग 12 फीसदी प्रॉविडेंट फंड (provident fund) में कंट्रीब्यूट करते हैं और इतना ही एम्प्लॉयर जमा करता है। इम्प्लॉयर के कंट्रीब्यूशन में से 8.33 फीसदी ईपीएस में चला जाता है। हालांकि, इस उद्देश्य के लिए वेज सीलिंग (जो फिलहाल 15,000 रुपये है) लगी हुई है। दूसरे शब्दों में, हर महीने का पेंशन कंट्रीब्यूशन 1,250 रुपये से ज्यादा नहीं होता है।
भले ही स्कीम एम्प्लॉइज को ईपीएस स्कीम (EPS scheme) के लिए ज्यादा पे पर अंशदान का विकल्प दिया गया है, लेकिन व्यवहार में ज्यादा कर्मचारियों ने इसे अपनाया नहीं है।
वेज सीलिंग में बढ़ोतरी
अगस्त, 2014 में, जब वेज सीलिंग हर महीने 6,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था तो कुछ अन्य बदलाव भी किए गए थे, जो इस प्रकार हैं :
-15,000 रुपये महीना से ज्यादा वेतन वाले ईपीएस मेंबर्स बनने के लिए पात्र नहीं होंगे। पेंशन तय करने के लिए पेंशनेबिल सैलरी की गणना पिछले 60 महीने के वेतन के औसत पर की जाएगी, जबकि मौजूदा व्यवस्था 12 महीने के औसत की है।
-मौजूदा सदस्य जो ऊंचे वेतन पर कंट्रीब्यूशन दे रहे हैं, उनको ऊंची सैलरी पर पेंशन कंट्रीब्यूट करने के विकल्प की पुष्टि के लिए एक संयुक्त डिक्लेरेशन देने के लिए 6 महीने का समय दिया या।
अगर संयुक्त डिक्लेरेशन जमा नहीं किया जाता तो ईपीएस में किए गए उनके कंट्रीब्यूशन को पीएफ अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिया जाएगा और भविष्य के ईपीएस कंट्रीब्यूशन को वेज सीलिंग तक सीमित कर दिया जाएगा। इस नोटिफिकेशन विभिन्न अदालतों में चुनौती दी गई और आखिरकार 4 नवंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रावधानों में अस्पष्टता के कारण कर्मचारियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार किया और फैसला सुनाया कि कर्मचारियों के पास ज्यादा पेंशन कंट्रीब्यूशन का विकल्प चुनने के लिए चार महीने का समय होगा।
ईपीएफओ (EPFO) को आठ सप्ताह के भीतर इससे जुड़ी गाइडलाइन जारी करने के निर्देश दिए गए। यह मौका 1 सितंबर, 2014 तक ईपीएस मेंबर्स बन चुके सभी कर्मचारियों के लिए था।
ज्यादा पेंशन कंट्रीब्यूशन
ज्यादा पेंशन कंट्रीब्यूशन से निश्चित रूप से कर्मचारी ज्यादा पेंशन पाने के लिए इलिजिबल हो जाएंगे। यह सुनने में एक आकर्षक प्रस्ताव के रूप में लग सकता है क्योंकि पेंशन पिछले 60 महीनों के वेतन के औसत पर आधारित होगी, जबकि कंट्रीब्यूशन सर्विस पीरियड के दौरान बहुत कम वेतन स्तरों पर किया जाएगा।
हालाँकि, यह एकमात्र कारण नहीं है जिसे निर्णय लेने से पहले विचार करने की आवश्यकता है। ऐसा क्यों? केवल इसलिए कि ईपीएस में जाने वाले फंड को कर्मचारियों के पीएफ खाते से ब्याज के साथ ट्रांसफर किया जाएगा।
इस जरूरत को समाप्त करने के लिए कानूनी संशोधन किए जाने तक कर्मचारियों के पीएफ कंट्रीब्यूशन से अंतर के रूप में वेतन से 1.16 फीसदी का अतिरिक्त भुगतान भी किया जाएगा। इसका मतलब यह होगा कि अब कोई भी उस हिस्से को एकमुश्त निकालने का पात्र नहीं होगा।
अब सवाल उठता है कि क्या ईपीएस मेंबर्स को ज्यादा सैलरी पर ईपीएस स्कीम में कंट्रीब्यूट करना चाहिए? यह मौजूदा उम्र, रोजगार की स्थिति, जोखिम लेने की भूख, स्वास्थ्य की स्थिति, कैश फ्लो की जरूरत, टैक्स आदि कई फैक्टर्स पर निर्भर करेगा। यह इलिजिबल कर्मचारी को दूसरे ऑप्शंस का आकलन करना चाहिए और फिर चुनना चाहिए।
तो एम्प्लॉयर कैसे मदद कर सकता है? वे कर्मचारियों को जागरूक कर सकते हैं और सोच समझकर फैसला लेने में सक्षम बना सकते हैं। कुल मिलाकर अभी एक लंबा सफर तय करना बाकी है।
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