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म्यूचुअल फंड के NFO में निवेश करने जा रहे हैं? पहले ये बाते जान लीजिए तो फायदे में रहेंगे

एसेट मैनेजमेंट कंपनियां अपने पोडक्ट पोर्टफोलियो के विस्तार के लिए नई स्कीम लॉन्च करती है। इसे न्यू फंड ऑफर यानी NFO कहा जाता है। यह कंपनियों के आईपीओ से बिल्कुल अलग है। निवेशकों को एनएफओ के बारे में पूरी तरह से जानने के बाद ही निवेश करना चाहिए

MoneyControl Newsअपडेटेड Jun 19, 2024 पर 12:09 PM
म्यूचुअल फंड के NFO में निवेश करने जा रहे हैं? पहले ये बाते जान लीजिए तो फायदे में रहेंगे
एनएफओ किसी नई स्ट्रेटेजी या थीम पर आधारित होता है।

एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (एंफी) के मुताबिक म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने FY24 में न्यू फंड ऑफर (एनएफओ) से 66,000 करोड़ रुपये जुटाए। एक साल पहले 62,000 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। आम तौर पर एक फंड हाउस अपना प्रोडक्ट पोर्टफोलियो बढ़ाने के लिए एनएफओ लॉन्च करता है। म्यूचुअल फंड के एनएफओ को लेकर कई इनवेस्टर्स कनफ्यूज हो जाते हैं। उन्हें यह कंपनियों के आईपीओ जैसा लगता है। लेकिन, एनएफओ और आईपीओ अलग-अलग चीजें हैं। आइए एनएफओ से जुड़ी जरूरी बाते जानते हैं।

NFO का मतलब क्या है?

एनएफओ (NFO) के साथ म्यूचुअल फंड हाउस कोई नई स्कीम पेश करता है। इसमें निवेशक को कम नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर यूनिट्स खरीदने का मौका मिलता है। इस वजह से हर निवेश अमाउंट पर उसे ज्यादा यूनिट्स एलॉट होती हैं। एनएफओ किसी नई स्ट्रेटेजी या थीम पर आधारित होता है। इसलिए इसके जरिए निवेशक को उस स्ट्रेटेजी के हिसाब से निवेश करने का मौका मिलता है। आखिर में यह निवेशक के पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन में हेल्प करता है।

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