
Property: बेंगलुरु के एक होमबायर को लगभग 4 साल की देरी से फ्लैट मिलने पर कर्नाटक रेरा (Karnataka RERA) ने बिल्डर के खिलाफ बड़ा फैसला दिया है। खरीदार ने फ्लैट के लिए 1.48 करोड़ रुपये पेमेंट कर दिया था, लेकिन तय समय पर घर नहीं मिला। अब रेरा ने बिल्डर को लगभग 29 लाख रुपये ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
खरीदार और बिल्डर के बीच 9 जनवरी 2014 को एग्रीमेंट साइन हुआ था। एग्रीमेंट के मुताबिक प्रोजेक्ट 1 जून 2017 तक पूरा होना चाहिए था। लेकिन असल में कंस्ट्रक्शन 8 अक्टूबर 2018 को पूरा हुआ। ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC) 12 सितंबर 2018 को मिला। सेल डीड 23 अप्रैल 2021 को रजिस्टर्ड हुई। यानी प्रोजेक्ट में बहुत देरी हुई।
बिल्डर ने दावा किया कि एग्रीमेंट में दी गई डिलीवरी डेट एक टाइप की गलती थी और असली डिलीवरी डेट 2017 की बजाय नवंबर 2017 होनी चाहिए थी। इसके लिए उन्होंने कहा कि उन्होंने 18 जून 2015 को खरीदार को एडेंडम भेजा था, लेकिन इसका कोई सबूत पेश नहीं कर पाए।
रेरा ने क्या फैसला दिया?
कर्नाटक RERA ने खरीदार की शिकायत स्वीकार करते हुए कहा कि एग्रीमेंट में डिलीवरी डेट बदलने का कोई रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट नहीं है। बिल्डर यह साबित नहीं कर पाया कि एडेंडम खरीदार को भेजा गया था। फ्लैट देने में लंबी देरी हुई। बिल्डर के बताए गए कारण जैसे नोटबंदी, बारिश, रेत की कमी, ठेकेदार बदलना अप्रत्याशित परिस्थिति के दायरे में नहीं आते इसलिए रेरा ने आदेश दिया कि बिल्डर खरीदार को पैसा दे।
SBI MCLR + 2% ब्याज 1 जून 2017 से लेकर पजेशन की तारीख तक दे। कुल देरी के पीरियड पर खरीदार की तैयार कैलकुलेशन के अनुसार लगभग 29,05,091 रुपये भी 60 दिनों में अदा करे। बिल्डर ने इस फैसले को चुनौती दी, लेकिन 24 अक्टूबर 2025 को अपील भी खारिज हो गई।
खरीदार ने क्यों जीता केस?
एक्सपर्ट और रेरा की रिपोर्ट के अनुसार खरीदार के पक्ष में कई कारण रहे।
1. बिल्डर की गलती
बिल्डर तय समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पाया और उसके पास देरी के ठोस कारण भी नहीं थे।
2. एडेंडम का कोई सबूत नहीं
बिल्डर ने कहा कि उसने खरीदार को संशोधित डिलीवरी डेट भेजी थी, लेकिन
कोई पोस्टल रसीद
न ही किसी कूरियर का रिकॉर्ड
पेश नहीं कर पाया।
3. एग्रीमेंट में कोई बदलाव नहीं हुआ
RERA ने साफ कहा कि एग्रीमेंट में बदलाव केवल आधिकारिक रजिस्टर्ड डॉक्यूमेंट के जरिए ही मान्य होते हैं।
4. खरीदार ने पेमेंट समय पर किया
बिल्डर ने आरोप लगाया कि खरीदार ने देरी से पेमेंट किया, लेकिन बैंक स्टेटमेंट से पता चला कि खरीदार ने समय पर पेमेंट किया था।
5. RERA की धारा 18 लागू
धारा 18 के अनुसार यदि बिल्डर समय पर घर नहीं देता तो खरीदार ब्याज और मुआवजे का हकदार है।
यह अधिकार किसी एग्रीमेंट से खत्म नहीं किया जा सकता।
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