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आज लोग पहले के मुकाबले कम सेविंग्स कर रहे, सेविंग्स में घटती दिलचस्पी बड़ी मुसीबत पैदा कर सकती है 

सेविंग्स न सिर्फ व्यक्ति और परिवार के लिए जरूरी है बल्कि यह नेशनल इनवेस्टमेंट का आधार है। दशकों से इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टार्टअप्स और इंडस्ट्री पर निवेश के लिए घरेलू सेविंग्स के पैसे का इस्तेमाल करता रहा है

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Jul 22, 2025 पर 12:43 PM
आज लोग पहले के मुकाबले कम सेविंग्स कर रहे, सेविंग्स में घटती दिलचस्पी बड़ी मुसीबत पैदा कर सकती है 
फाइनेंशियल ईयर 2022-2023 में जीडीपी में परिवारों की नेट सेविंग्स की हिस्सेदारी गिरकर 5.3 फीसदी पर आ गई।

इंडिया दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकोनॉमी है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथलपुथल के बीच भी इंडियन इकोनॉमी का अच्छा प्रदर्शन जारी है। लेकिन, लोग अब सेविंग्स पर कम फोकस कर रहे हैं। लोगों में सेविंग्स की आदत में यह बदलाव इकोनॉमी के लिए ठीक नहीं है। लंबी अवधि में यह दिक्कत पैदा कर सकती है। आरबीआई के सेविंग्स के नए डेटा से यह जानकारी मिली है।

जीडीपी में सेविंग्स की हिस्सेदारी घटकर 5.3% रह गई

फाइनेंशियल ईयर 2022-2023 में जीडीपी में परिवारों की नेट सेविंग्स की हिस्सेदारी गिरकर 5.3 फीसदी पर आ गई। यह बीते 50 साल में सबसे कम है। एक दशक पहले ग्रॉस डोमेस्टिक सेविंग्स रेट 34.6 फीसदी था, जो फाइनेंशियल ईयर 2022-023 में घटकर 29.7 फीसदी पर आ गया। यह सिर्फ डेटा में आई कमी नहीं है बल्कि यह लोगों की आदत और सोच में आ रहे बदलाव के बारे में बताता है।

RBI गनवर्नर घटती सेविंग्स पर जता चुके हैं चिंता

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