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कैपिटल गेन के टैक्सेशन में बदलाव नहीं आए समझ में? यहां पाएं हर सवाल के जवाब

FAQ on Capital Gain Tax Changes: चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपिटल गेन को लेकर बड़े बदलाव का ऐलान किया। अब कोई कैपिटल गेन लॉन्ग टर्म का है या शॉर्ट टर्म का है, इसके लिए सिर्फ दो ही होल्डिंग पीरियड- 12 महीने और 24 महीने से ही फैसला होगा। इसके अलावा टैक्स की दरों को अधिकतर एसेट्स के लिए समान कर दिया गया है

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Jul 25, 2024 पर 9:07 AM
कैपिटल गेन के टैक्सेशन में बदलाव नहीं आए समझ में? यहां पाएं हर सवाल के जवाब
पहले कुछ एसेट्स के लिए होल्डिंग तीन साल पूरा होने के बाद ही लॉन्ग टर्म गेन माना जाता था। हालांकि अब सिर्फ दो ही होल्डिंग पीरियड है- एक साल और दो साल।

FAQ on Capital Gain Tax Changes: चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपिटल गेन को लेकर बड़े बदलाव का ऐलान किया। अब कोई कैपिटल गेन लॉन्ग टर्म का है या शॉर्ट टर्म का है, इसके लिए सिर्फ दो ही होल्डिंग पीरियड- 12 महीने और 24 महीने से ही फैसला होगा। इसके अलावा टैक्स की दरों को अधिकतर एसेट्स के लिए समान कर दिया गया है। बजट में इंडेक्सेशन के फायदे को खत्म कर दिया गया है। हालांकि लिस्टेड शेयरों और म्यूचुअल फंड जैसे एसेट्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) के लिए 1 लाख रुपये की छूट सीमा को बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है।

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स को बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया है, और LTCG टैक्स अब 12.5 फीसदी है। इसके अलावा शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को 0.1 फीसदी से बढ़ाकर 0.2 फीसदी कर दिया गया है। अगर अभी भी नहीं समझ आ रहा है तो सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने FAQ जारी किया है जिसमें सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे।

पहला सवाल- कैपिटल गेन के टैक्सेशन में क्या बदलाव हुए हैं?

जवाब- कैपिटल गेन पर टैक्स सिस्टम को पांच पैरामीटर्स पर और सरल बनाया गया है। होल्डिंग पीरियड अब दो ही है यानी कि कैपिटल गैन शॉर्ट है या लॉन्ग, इसे सिर्फ एक साल और दो साल के होल्डिंग पीरियड से ही तय किया जाएगा। अधिकतर एसेट्स के लिए टैक्स की दरों को समान कर दिया गया है। कैलकुलेशन आसान करने के लिए इंडेक्सेशन को हटा दिया गया है और दरों को 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया है। आवासीय और गैर-आवासीय के बीच फर्क को हटाया गया। रोल ओवर बेनेफिट्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

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