
यूरोप का देश स्वीडन दुनिया का पहला पूरी तरह कैशलेस देश बन गया है। यहां बच्चे से लेकर बड़े तक सभी ऐप के जरिये पेमेंट करते हैं। यहां बुजुर्गों को ऐप के जरिये पेमेंट करने के लिए बकायदा ट्रेनिंग दी गई है। कभी यही देश यूरोप में पहला था जिसने कागज के नोट जारी किए थे, लेकिन अब यहां 1% से भी कम ट्रांजेक्शन कैश में होते हैं। बाकी सब कुछ डिजिटल माध्यमों से जैसे मोबाइल ऐप, डेबिट कार्ड या कॉन्टैक्टलेस पेमेंट से किया जाता है।
कैसे हुआ स्वीडन कैशलेस
साल 2010 में स्वीडन में करीब 40% पेमेंट पेमेंट में होते थे, लेकिन 2023 तक यह घटकर 1% से भी कम रह गया। यानी पिछले एक दशक में देश ने लगभग पूरी तरह से डिजिटल पेमेंट सिस्टम अपना लिया है।
स्विश ऐप हुआ फेमस
साल 2012 में स्वीडन के बड़े बैंकों ने मिलकर Swish नाम का मोबाइल पेमेंट ऐप लॉन्च किया। आज इसके 8 मिलियन से ज्यादा यूजर्स हैं, जो देश की कुल आबादी के 75% से अधिक हैं। लोग इससे बिल बांटने से लेकर सड़क के विक्रेताओं को पेमेंट तक करते हैं।
बैंकिंग सिस्टम में बदलाव
अब स्वीडन के 50% से ज्यादा बैंक ब्रांच पेमेंट नहीं संभालतीं। एटीएम तेजी से घट रहे हैं और दुकानों पर No Cash Accepted के बोर्ड आम हो गए हैं।
बुजुर्गों के लिए भी आसान
डिजिटल सुविधा हर उम्र के लोगों तक पहुंची है। यहां तक कि 65 साल से ऊपर के 95% लोग भी डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। सरकार ने डिजिटल लिटरेसी प्रोग्राम्स चलाकर बुजुर्गों को भी इस बदलाव से जोड़ा है।
डिजिटल करेंसी e-Krona
स्वीडन का केंद्रीय बैंक Riksbank अब e-Krona नाम की डिजिटल करेंसी पर काम कर रहा है, ताकि भविष्य में अर्थव्यवस्था को और सुरक्षित और आधुनिक बनाया जा सके।
दूसरे देशों का स्टेटस
स्वीडन के बाद नॉर्वे, फिनलैंड और दक्षिण कोरिया जैसे देश भी तेजी से कैशलेस हो रहे हैं, जहां पेमेंट लेन-देन 5% से भी कम रह गया है।
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