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अमेरिका की रेटिंग घटने से US बॉन्ड में इनवेस्ट करने वाले म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों पर कितना असर पड़ेगा?

अभी इंडियन मार्केट में म्यूचुअल फंड्स की ऐसी 5 स्कीमें हैं, जो अमेरिकी बॉन्डस में इनवेस्ट करती हैं। लेकिन, ये स्कीमें इनवेस्टर्स से नए इनवेस्टमेंट नहीं ले रही हैं। इसकी वजह विदेश में निवेश के लिए आरबीआई और सेबी की लिमिट है

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड May 22, 2025 पर 6:04 PM
अमेरिका की रेटिंग घटने से US बॉन्ड में इनवेस्ट करने वाले म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों पर कितना असर पड़ेगा?
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 16 मई को अमेरिका की रेटिंग AAA से घटाकर AA1 कर दी। इसकी वजह अमेरिकी सरकार पर कर्ज के बढ़ते बोझ को बताया गया।

पिछले कुछ सालों में अमेरिकी बॉन्ड्स में इंडियन इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ी है। अभी इंडियन मार्केट में म्यूचुअल फंड्स की ऐसी 5 स्कीमें हैं, जो अमेरिकी बॉन्डस में इनवेस्ट करती हैं। लेकिन, ये स्कीमें इनवेस्टर्स से नए इनवेस्टमेंट नहीं ले रही हैं। इसकी वजह विदेश में निवेश के लिए आरबीआई और सेबी की लिमिट है। अमेरिका में बॉन्ड्स की यील्ड में अचानक इजाफा ने म्यूचुअल फंड्स की इन स्कीमों को सुर्खियों में ला दिया है। बीते हफ्ते मूडीज के अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटा देने के बाद अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में तेज उछाल देखने को मिला है।

30 साल के बॉन्ड की यील्ड 5 फीसदी के पार

21 मई को अमेरिका में 30 साल के Bonds की Yields 5.089 फीसदी पर पहुंच गई। यह अक्टूबर 2023 के बाद सबसे ज्यादा है। 10 साल के बॉन्ड की यील्ड बढ़कर 4.59 फीसदी हो गई। बॉन्ड यील्ड बढ़ने से नए इनवेस्टर्स को फायदा होता है, जबकि पुराने इनवेस्टर्स को लॉस होता है। यह ध्यान में रखना जरूरी है कि बॉन्ड्स की कीमत और उसकी यील्ड के बीच विपरीत संबंध होता है। इसका मतलब यह है कि जब बॉन्ड्स की कीमत बढ़ती है तो उसकी यील्ड घटती है। जब बॉन्ड्स की कीमत घटती है तो उसकी यील्ड बढ़ती है।

मूडीज ने 16 मई को घटाई अमेरिकी की रेटिंग

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