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Hartalika Teej 2025: सुहागिनों के कठिन व्रत का ये नाम कैसे पड़ा, जानिए रोचक कथा

Hartalika Teej 2025: भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस व्रत में भी अन्य दोनों तीज के त्योहार की तरह शादीशुदा महिलाएं मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। इस व्रत का हरतालिका नाम होने के पीछे रोचका कहानी है।

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 16, 2025 पर 12:09 AM
Hartalika Teej 2025: सुहागिनों के कठिन व्रत का ये नाम कैसे पड़ा, जानिए रोचक कथा
हरतालिका तीज का व्रत इस साल 26 अगस्त को किया जाएगा।

हिंदू वर्ष में पूरे साल में तीन तीज के त्योहार मनाए जाते हैं। ये सभी व्रत अखंड सौभाग्य और दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए रखे जाते हैं। इनमें मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। ये तीन तीज के व्रत हैं हरियाली तीज, जो सावन में आती है। इसके बाद कजरी तीज आती है, जो भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को आती है। ये दोनों तीज के व्रत हो चुके हैं। अब तीसरी और साल की अंतिम तीज आने वाली है। ये है हरतालिका तीज का व्रत। ये व्रत हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शिव-पार्वती की मूर्ति मिट्टी से बनाकर उसकी पूजा की जाती है और निर्जला उपवास किया जाता है। हरतालिका तीज का त्योहार खासतौर से उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह देवी पार्वती और भगवान शिव के दिव्य मिलन का प्रतीक है। इस पर्व के नाम पड़ने की रोचक कहानी है।

हरतालिका तीज नाम का अर्थ

इस त्यौहार का नाम इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा के आधार पर रखा गया है। 'हरतालिका' शब्द 'हरत' और 'आलिका' से मिलकर बना है। इसमें हरत का अर्थ अपहरण है और तालिका का मतलब स्त्री सखी होता है। पार्वती राजा हिमवान की बेटी हैं, जो उनका विवाह विष्णु से करना चाहते थे। लेकिन पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थीं। इसलिए अपनी भक्ति सिद्ध करने के लिए कई वर्षों तक कठोर व्रत किया। पार्वती की साधना में विघ्न न आए, इसलिए उनकी सहेलियां उन्हें एक घने वन में ले जाकर छुपा दिया। इस कारण से उनका विवाह विष्णु से नहीं हो पाया और आखिर पार्वती की भक्ति से प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।

पूजा तिथि और मुहूर्त

इस वर्ष हरितालिका तीज का व्रत 26 अगस्त 2025 को रखा जाएगा। तृतीया तिथि की शुरुआत 25 अगस्त को दोपहर 12:34 बजे से होगी और इसका समापन 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे होगा। उदया 26 अगस्त को मिलने की वजह से यह उपवास भी इसी दिन रखा जाएगा।

व्रत का पारण

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