Kaal Bhairav Jayanti 2025 Katha: काल भैरव को भगवान शिव का उग्र रूप माना जाता है। इनके इस रूप से बड़े से बड़ा दोष डरता है। हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंति मनाई जाती है। माना जाता है कि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव के क्रोधाग्नि से प्रकट हुए कालभैरव देव ने ब्रह्मांड में संतुलन और न्याय की स्थापना की थी। इस दिन भगवान कालभैरव की आराधना से भय, रोग और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस साल यह पूजा आज यानी 12 नवंबर के दिन की जाएगी। इस दिन काल भैरव की पूजा करने के साथ ही कुछ भक्त उपवास भी करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आज के दिन संध्या पूजा और काल भैरव की कथा सुनने का बहुत महत्व है। आइए जानें संध्या पूजा का मुहूर्त और काल भैरव की कथा क्या है ?
