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Paryushan Parv 2025: जानिए जैन धर्म में मनाए जाने वाले इस पव का अर्थ, शुरू होने और समाप्त होने की तारीख

Paryushan Parv 2025: जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पर्युषण पर्व आत्मनिरीक्षण, तपस्या और संयम की अवधि के रूप में मनाया जाता है। इसमें वे अपने मन, वचन और कर्म की शुद्धि करते हैं। पर्यूषण के शाब्दिक अर्थ को 'अपने भीतर ठहरना' से जोड़ा जाता है।

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 22, 2025 पर 8:10 PM
Paryushan Parv 2025: जानिए जैन धर्म में मनाए जाने वाले इस पव का अर्थ, शुरू होने और समाप्त होने की तारीख
10 दिनों तक चलता है जैन धर्म का महापर्व पर्युषण।

Paryushan Parv 2025: पर्युषण पर्व जैन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसमें श्वेतांबर जैन समाज में पर्युषण महापर्व आठ दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जबकि दिगंबर जैन समाज का दसलक्षण पर्युषण महापर्व के रूप में 10 दिनों तक मनाया जाता है। यह पर्व क्षमा, आत्म नियंत्रण और आत्मा की शुद्धि का प्रतीक माना जाता है। श्वेतांबर जैन समुदाय में इस त्योहार की शुरुआत 20 अगस्त से हो चुकी है और दिगंबर संप्रदाय के लोग 28 अगस्त से 6 सितंबर तक पर्यूषण पर्व मनाएंगे।

जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पर्युषण पर्व आत्मनिरीक्षण, तपस्या और संयम की अवधि के रूप में मनाया जाता है। इसमें वे अपने मन, वचन और कर्म की शुद्धि करते हैं। पर्यूषण के शाब्दिक अर्थ को 'अपने भीतर ठहरना' से जोड़ा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मान्यताओं के अनुसार, इसका उद्देश्य इंद्रियों और इच्छाओं को नियंत्रित कर आत्मा की शुद्धि के लिए काम करना है।

इस पर्व का अंतिम दिन सबसे अहम होता है, जिसे संवत्सरी कहते हैं। इस दिन जैन धर्म के अनुयायी एक दूसरे से ‘मिच्छामी दुक्कड़म’ कहते हैं। इसका अर्थ है, ‘अगर मैंने जाने अनजाने में आपको दुख पहुंचाया हो, तो उसके लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं।’ माना जाता है कि ये पर्व एक दूसरे के प्रति मन में आए वैर भाव को खत्म कर मेल-मिलाप करने और बीती बातें भुलाकर आगे बढ़ने की सीख देता है।

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