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Surya Grahan 2025: सर्वपितृ अमावस्या के साथ सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग, जानें पितरों की विदाई पर क्या असर होगा?

Surya Grahan 2025: 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इसे लेकर लोगों में दुविधा की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि ग्रहण काल में कोई भी धार्मिक काम नहीं किया जाता है। ऐसे में पितरों की विदाई का धार्मिक काम कैसे किया जा सकेगा?

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 16, 2025 पर 3:57 PM
Surya Grahan 2025: सर्वपितृ अमावस्या के साथ सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग, जानें पितरों की विदाई पर क्या असर होगा?
21 सितंबर पर सर्वपितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण साथ होंगे।

Surya Grahan 2025: इस साल सर्वपितृ अमावस्या के दिन यानी अश्विन मास की अमावस्या के साथ साल के दूसरे और अंतिम सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इसकी वजह से 21 सितंबर को पितरों की विदाई को लेकर लोगों में काफी असमंजस देखा जा रहा है। दरअसल, ग्रहण काल के दौरान कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है। ऐसे में पितरों की विदाई करना उचित होगा या नहीं? ऐसे सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं।

हिंदू धर्म में सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज जैसे कर्म का विशेष महत्व रखते हैं। वहीं, सूर्य या चंद्र ग्रहण में धार्मिक अनुष्ठान आदि नहीं किए जाते हैं। स्नान-दान और पूजा जैसे कर्म आमतौर पर ग्रहण समाप्त होने के बाद किए जाते हैं।

सूर्य ग्रहण का श्राद्धकर्म पर असर

साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार 21 सितंबर की रात 10.59 बजे शुरू होकर देर रात 03.23 बजे तक रहेगा। इस समय भारत में रात होगी और ये ग्रहण यहां दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भारत में लागू नहीं होगा। सूतक लागू नहीं होने से इस दिन श्राद्ध व तर्पण आदि धार्मिक कार्य करने में कोई बाधा नहीं है। ऐसे में आप 21 सितंबर की दोपहर को पितरों का विधिवत श्राद्ध कर किया जा सकता है। इस दिन न तो मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे, और न ही पूजा-पाठ या अन्य धार्मिक कार्यों पर रोक होगी।

किन देशों में दिखेगा सूर्य ग्रहण?

यह सूर्य ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, अफ्रीका, हिंद महासागर, दक्षिण प्रशांत, अटलांटिक और दक्षिणी महासागर सहित पोलिनेशिया, मेलानेशिया तथा एशिया के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। इसके अलावा, न्यूजीलैंड के प्रमुख शहर जैसे ऑकलैंड, क्राइस्टचर्च, वेलिंगटन और नॉरफॉक द्वीप का किंग्स्टन भी इस खगोलीय घटना के साक्षी बनेंगे।

सूर्य ग्रहण में बरतें ये सावधानियां

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