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Vrishchika Sankranti 2025: सूर्य इस दिन करेंगे वृश्चिक राशि में प्रवेश, जानें महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त

Vrishchika Sankranti 2025: सूर्य देव जब किसी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसे संक्रांति कहते हैं। इस दिन गंगा स्नान और सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। आने वाले समय में सूर्य देव वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। उस दिन वृश्चिक संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। जानिए इस दिन की पूजा विधि और महत्व

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 07, 2025 पर 10:46 AM
Vrishchika Sankranti 2025: सूर्य इस दिन करेंगे वृश्चिक राशि में प्रवेश, जानें महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त
सूर्य भगवान जब एक राशि से निकल कर किसी दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, उसे संक्रांति कहते हैं।

Vrishchika Sankranti 2025: हिंदू धर्म में संक्रांति का बहुत महत्व है। इस दिन विशेष पूजा, दान और गंगा स्नान किया जाता है। साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। सूर्य भगवान जब एक राशि से निकल कर किसी दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, उसे संक्रांति कहते हैं। यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन सूर्य भगवान को जल देने और गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। पंचांग के अनुसार, सूर्य देव मार्गशीर्ष माह में वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। उस दिन वृश्चिक संक्रांति मनाई जाएगी। आइए जानें इसकी तारीख, महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त।

वृश्चिक संक्रांति : 16 नवंबर को मंगल की राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य देव

पंचांग के अनुसार, सूर्य देव 16 नवंबर 2025 को तुला राशि से निकलकर मंगल की राशि वृश्चिक में प्रवेश करेंगे। सूर्य के इस राशि परिवर्तन को वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। वृश्चिक संक्रांति का पावन पर्व 16 नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा। इस राशि में सूर्य देव 15 दिसंबर तक विराजमान रहेंगे। इसके अगले दिन सूर्य देव धनु राशि में गोचर करेंगे। इस बीच वह कई बार नक्षत्र परिवर्तन करेंगे।

वृश्चिक संक्रांति मुहूर्त

संक्रांति के दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ के लिए पुण्यकाल और महापुण्यकाल का समय विशेष फलदायी माना जाता है। पंचांग के अनुसार, 16 नवंबर के दिन पुण्य काल सुबह 08 बजकर 02 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 45 मिनट तक है। इसके साथ ही महा पुण्य काल दिन में 11 बजकर 58 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 45 मिनट तक है। वृश्चिक संक्रांति के दिन पुण्य क्षण दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर है। इसी समय सूर्य भगवान वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। साधक 16 नवंबर को सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर सूर्य देव की पूजा और साधना कर सकते हैं।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 45 मिनट पर

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