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आदिवासियों के इस त्योहार में घड़े से होती है बारिश की भविष्यवाणी, अनोखे हैं रीति-रिवाज

Sarhul Festival: हर साल झारखंड के गुमला जिले में सरहुल पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सुबह-सुबह आदिवासी समाज के पाहन दो नए मिट्टी के घड़े नदी या कुएं से लाते हैं। इन घड़ों को पूरी श्रद्धा और परंपरा के साथ सरना स्थल पर रखा जाता है। सरहुल की पूजा खत्म होने के बाद घड़े के पानी को चेक किया जाता है, जिससे पता चलता है कि आने वाले समय में कैसी बारिश होगी

MoneyControl Newsअपडेटेड Apr 01, 2025 पर 6:59 PM
आदिवासियों के इस त्योहार में घड़े से होती है बारिश की भविष्यवाणी, अनोखे हैं रीति-रिवाज
झारखंड के गुमला जिले में सरहुल पर्व के दौरान घड़े से बारिश की भविष्यवाणी की जाती है (Photo Credit: Canva)

Sarhul Festival: झारखंड में सरहुल पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व हर साल चैत्र मास में आता है। सरहुल पर्व आदिवासी समुदाय का प्रमुख त्योहार है, जिसमें प्रकृति की पूजा की जाती है। आदिवासी समुदाय के लिए यह सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान, प्रकृति के प्रति सम्मान और परंपराओं का उदाहरण है। झारखंड के गुमला जिले में भी इन दिनों सरहुल पर्व धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। सरहुल की पूजा एक खास तरह से की जाती है। इसको करने के लिए एक खास परंपरा निभाई जाती है। जिसे साइंटिक तौर पर भी सोचने को मजबूर कर देता है।

झारखंड के गुमला जिले में सरहुल पर्व के दौरान घड़े से बारिश की भविष्यवाणी की जाती है। यह भविष्यवाणी अक्सर सही साबित होती है। आइए जानते हैं इस कैसे होता है भविष्यवाणी

कैसे मनाया जाता है सरहुल पर्व

हर साल गुमला जिले में सरहुल पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सुबह-सुबह आदिवासी समाज के पाहन दो नए मिट्टी के घड़े नदी या कुएं से लाते हैं। इन घड़ों को पूरी श्रद्धा और परंपरा के साथ सरना स्थल पर रखा जाता है। इसके बाद इन घड़ों में अरवा चावल और सरई के फूल डाले जाते हैं। फिर इन घड़ों को धागे और सिंदूर से सजाया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया पारंपरिक और बड़े आदर से की जाती है। इन्हीं घड़ों से बाद में होने वाले समय में बारिश के बारे में पता चलता है।

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