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पाकिस्तान का असली चेहरा बेनकाब! शहबाज के करीबी स्पीकर ने पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड का किया समर्थन

Pahalgam Terror Attack: ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान सरकार और आतंकी समूहों के बीच की खाई कम होती दिख रही है। इसका एक चौंकाने वाला उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब पाकिस्तान में पंजाब विधानसभा के स्पीकर मलिक अहमद खान को लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी और लश्कर के संस्थापक हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद के साथ एक रैली में देखा गया

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Jun 03, 2025 पर 1:17 PM
पाकिस्तान का असली चेहरा बेनकाब! शहबाज के करीबी स्पीकर ने पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड का किया समर्थन
Pahalgam Terror Attack: मलिक अहमद खान ने लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी का खुलकर समर्थन किया

Pahalgam Terror Attack: भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान का आतंकी चेहरा दुनिया के सामने आ चुका है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान सरकार और आतंकी समूहों के बीच की खाई कम होती दिख रही है। इसका एक चौंकाने वाला उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब पाकिस्तान में पंजाब विधानसभा के स्पीकर मलिक अहमद खान को लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी और लश्कर के संस्थापक हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद के साथ एक रैली में देखा गया। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के करीबी मलिक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।

मलिक अहमद खान ने लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी के साथ रैली में हिस्सा लेने के दौरान खुलकर उसका समर्थन किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्पीकर ने अमेरिका द्वारा घोषित आतंकवादी और लश्कर प्रमुख हाफिज सईद के बेटे तल्हा के साथ पिछले सप्ताह एक रैली में भाग लिया। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस रैली में पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह कसूरी भी शामिल हुआ।

पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत की विधानसभा के स्पीकर ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंडों में से एक कसूरी को बिना जांच के आरोपी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कसूरी से अपने निजी संबंधों का भी हवाला दिया। 28 मई की रैली आयोजित की गई थी।

कसूरी के साथ तल्हा की मौजूदगी तब सामने आई जब विदेश नीति के हलकों में पहले से ही हाफिज सईद के बेटे और उनके जिहादी साथियों के बारे में चर्चा हो रही थी। रैली को संबोधित करते हुए लश्कर के आतंकवादियों ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट में अपनी भूमिका का दावा किया। इसके कारण उन्हें भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी।

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