झारखंड के गिरिडीह में जन्मी नीतू पर उस समय दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, जब अचानक उनके पिता की रोड एक्सिडेंट में मौत हो गई। तब वह मात्र तीन साल की थीं, परिवार को मां और बड़े भाई ने संभाला। छह बहनों के साथ आर्थिक तंगहाली में बड़ी हुई नीतू ने बहुत कम उम्र में दृढ़ता का सबक सीख लिया। चुनौतियों के बावजूद नीतू पढ़ाई में अव्वल रहीं और कार्मल कॉन्वेंट (गिरिडीह) में शुरुआती पढ़ाई पूरी की। उसके बाद सेंट जॉन्स स्कूल (वाराणसी) और फिर विनोबा भावे यूनिवर्सिटी में पढ़ीं। अपना रास्ता खुद बनाने की जिद ठाने बैठी नीतू इसके बाद दिल्ली आ गईं। यहां उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से एलएलबी की डिग्री ली।