बिहार एक बार फिर विधानसभा चुनाव की तैयारी में है, और इसकी राजनीति का इतिहास बतलाता है कि यहां की सत्ता कभी भी स्थिर नहीं रही है। इसका बड़ा उदाहरण है करीब 50 साल पहले की वो घटना, जब हरिहर सिंह बिहार के मुख्यमंत्री तो बने थे, लेकिन उन्हें अपने मंत्रिमंडल में विभाग बांटने से पहले ही इस्तीफा भी देना पड़ा। 1968 के मध्य में बिहार की राजनीति बहुत अस्थिर थी। भोला पासवान शास्त्री ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद लगभग 242 दिन तक राज्य में राष्ट्रपति शासन था। सात महीने बीतने के बाद भी कोई पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई। फरवरी 1969 में फिर से चुनाव हुए, लेकिन इसके नतीजे और बिगड़ गए।
