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Bihar Chunav 2025: बिहार की राजनीति का अनोखा किस्सा, जब सरकार में थे सिर्फ एक मुख्यमंत्री, न कोई मंत्री, 10 दिन में छोड़ी कुर्सी

Bihar Election 2025: इस समय कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई थी, उसे सिर्फ 318 सदस्यों वाली विधानसभा में 118 सीटें मिलीं। वहीं संयुक्‍त सोशलिस्ट पार्टी को 52, भारतीय जनता संघ को 34, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को 25, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को 18 और राजा कमाख्य नारायण सिंह की जनता पार्टी को 14 सीटें मिलीं। यह बिहार के इतिहास का सबसे विभाजित परिणाम था

Shubham Sharmaअपडेटेड Nov 04, 2025 पर 8:33 PM
Bihar Chunav 2025: बिहार की राजनीति का अनोखा किस्सा, जब सरकार में थे सिर्फ एक मुख्यमंत्री, न कोई मंत्री, 10 दिन में छोड़ी कुर्सी
Bihar Chunav 2025: हरिहर सिंह ने 26 फरवरी 1969 को बिहार के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

बिहार एक बार फिर विधानसभा चुनाव की तैयारी में है, और इसकी राजनीति का इतिहास बतलाता है कि यहां की सत्ता कभी भी स्थिर नहीं रही है। इसका बड़ा उदाहरण है करीब 50 साल पहले की वो घटना, जब हरिहर सिंह बिहार के मुख्यमंत्री तो बने थे, लेकिन उन्हें अपने मंत्रिमंडल में विभाग बांटने से पहले ही इस्तीफा भी देना पड़ा। 1968 के मध्य में बिहार की राजनीति बहुत अस्थिर थी। भोला पासवान शास्त्री ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद लगभग 242 दिन तक राज्य में राष्ट्रपति शासन था। सात महीने बीतने के बाद भी कोई पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई। फरवरी 1969 में फिर से चुनाव हुए, लेकिन इसके नतीजे और बिगड़ गए।

इस समय कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई थी, उसे सिर्फ 318 सदस्यों वाली विधानसभा में 118 सीटें मिलीं। वहीं संयुक्‍त सोशलिस्ट पार्टी को 52, भारतीय जनता संघ को 34, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को 25, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को 18 और राजा कमाख्य नारायण सिंह की जनता पार्टी को 14 सीटें मिलीं। यह बिहार के इतिहास का सबसे विभाजित परिणाम था।

कांग्रेस के अंदर भी कई गुट बने हुए थे, केबी सहाय, महेश प्रसाद सिन्हा और सत्येंद्र नारायण सिन्हा के इर्द-गिर्द। पिछड़ा वर्ग के नेता राम लखन सिंह यादव को टिकट नहीं मिला, जिसने और असंतोष बढ़ाया। कई विधायक पूर्व मुख्यमंत्री बिनोदानंद झा का समर्थन करते थे, जिन्होंने लोकतांत्रिक कांग्रेस दल बनाया था।

राष्ट्रीय स्तर पर भी कांग्रेस दो फाड़ की स्थिति में थी- पुराने गार्ड कांग्रेस (O) और इंदिरा गांधी के कांग्रेस (R) के रूप में।

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