दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियों ने खुद को गरीबों का हितैषी बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और कई कल्याणकारी वादों और योजनाओं की घोषणा की है। जहां कांग्रेस सिर्फ अपने वोट शेयर को दोगुना करने और सीटों की संख्या बढ़ाने की उम्मीद कर रही है, तो वहीं असल मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (BJP) और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच है। इस पूरे चुनावी अभियान में सबसे बड़ी विडंबना यह है कि मिडिल क्लास, जो कि दिल्ली के वोटर बेस का एक बड़ा हिस्सा है, उसे चुनाव से पहले काफी हद तक दरकिनार कर दिया गया है। दूसरे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उलट, दिल्ली में मध्यम वर्ग की एक बड़ी आबादी है, जिसके वोटिंग पैटर्न का चुनावी नतीजों पर बड़ा असर पड़ता है।