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मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में दर्ज होगी FIR, ₹1300 करोड़ के घोटाले का आरोप

Delhi Corruption Cases: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सत्ता गंवाने के बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली सरकार के स्कूलों के निर्माण में कथित 1,300 करोड़ रुपये के घोटाले में AAP नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को मंजूरी दे दी है

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Mar 13, 2025 पर 8:46 PM
मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में दर्ज होगी FIR, ₹1300 करोड़ के घोटाले का आरोप
Delhi Corruption Cases: दिल्ली सरकार के समय स्कूलों में क्लासेस के निर्माण में 1,300 करोड़ रुपये के कथित घोटाले का आरोप है

Delhi Corruption Cases: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में क्लासेस के निर्माण में 1,300 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में आम आदमी पार्टी (AAP) के सीनियर नेता मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने 2022 में कथित घोटाले की जांच की सिफारिश की थी। इस मांग को लेकर मुख्य सचिव को एक रिपोर्ट भी सौंपी थी। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने भी गुरुवार को AAP के दोनों पूर्व मंत्रियों के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी।

सूत्रों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि राष्ट्रपति ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में सिसोदिया और जैन के मंत्री रहने के दौरान हुए कथित घोटाले के संबंध में उनके खिलाफ FIR दर्ज करने को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने 17 फरवरी, 2020 की एक रिपोर्ट में लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा दिल्ली सरकार के स्कूलों में 2,400 से अधिक कक्षाओं के निर्माण में 'घोर अनियमितताओं' को उजागर किया।

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनियमितताओं के संबंध में सिसोदिया और जैन के खिलाफ औपचारिक जांच शुरू करने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 A के तहत दिल्ली के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को मंजूरी दी है। सिसोदिया उस वक्त शिक्षा मंत्री थे, जबकि जैन दिल्ली के PWD मंत्रालय संभाल रहे थे।

जुलाई 2018 में केंद्र सरकार ने एक संशोधन के जरिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में धारा 17A जोड़ी थी। इसके तहत पुलिस, CBI या भ्रष्टाचार से जुड़े अपराधों से निपटने वाली किसी भी जांच एजेंसी के लिए भ्रष्टाचार से जुड़े किसी भी अपराध की जांच करने से पहले पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया था।

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