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India-Pakistan Ceasefire: 'ट्रेड का मुद्दा नहीं उठा'; विदेश मंत्रालय ने भारत-पाक‍िस्‍तान सीजफायर पर ट्रंप के दावों को फिर किया खारिज

India-Pakistan Ceasefire: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार यह दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव को व्यापार समझौते के जरिए सुलझाया है। दूसरी तरफ भारत का कहना है कि पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (DGMO) के संपर्क किए जाने के बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर विचार किया गया

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड May 29, 2025 पर 5:32 PM
India-Pakistan Ceasefire: 'ट्रेड का मुद्दा नहीं उठा'; विदेश मंत्रालय ने भारत-पाक‍िस्‍तान सीजफायर पर ट्रंप के दावों को फिर किया खारिज
India-Pakistan Ceasefire: विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि आतंकवाद-बातचीत एक साथ नहीं हो सकता है। पाकिस्तान पहले आतंकियों को सौंपे

India-Pakistan Ceasefire: भारत सरकार ने गुरुवार (29 मई) को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे को फिर खारिज कर दिया कि उन्होंने ट्रेड यानी व्यापार के बदले भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने में मदद की थी। सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हालिया सैन्य तनाव के दौरान दोनों देशों के बीच किसी भी चर्चा में व्यापार का मुद्दा नहीं उठा। भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार (29 मई) को एक बार फिर उन दावों को खारिज कर दिया कि भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू करने के बाद से दोनों देशों के बीच हुई वार्ताओं में अमेरिका के साथ व्यापार पर कोई चर्चा हुई है।

एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "मैं आपको 13 मई को स्पष्ट की गई स्थिति के बारे में बताता हूं। 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू होने के बाद से इनमें से किसी भी चर्चा में ट्रेड या टैरिफ का मुद्दा नहीं आया। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भी स्पष्ट किया था कि यह सीधे डीजीएमओ के माध्यम से स्थापित किया गया था।"

जायसवाल ने आगे कहा कि संघर्ष विराम की अपील इस्लामाबाद से आई थी। खास तौर पर पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (DGMO) से आया था। उन्होंने दिल्ली में अपने समकक्ष से संपर्क किया था। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान कोई अमेरिकी हस्तक्षेप नहीं था।

13 मई की ब्रीफिंग में जायसवाल ने कहा था कि भारत का दृढ़ रुख है कि वह परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा। इसका हवाला देकर सीमा पार आतंकवाद को संचालित करने की अनुमति नहीं देगा। उन्होंने कहा, "विभिन्न देशों के साथ बातचीत में हमने यह भी चेतावनी दी है कि इस तरह के परिदृश्यों को अपनाने से उन्हें अपने क्षेत्र में नुकसान हो सकता है।"

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