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Waqf Amendment Bill: वक्फ बिल पर राज्यसभा में बहस के दौरान तीखी बहस, अमित शाह की विपक्ष से अपील- 'सदन में गलत जानकारी ना दे'

Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन विधेयक 2025 बुधवार (2 अप्रैल) देर रात लोकसभा में 12 घंटे से ज्यादा चली मैराथन बहस के बाद पारित हो गया। अब इस विधेयक को राज्यसभा में चर्चा के लिए रखा गया है। इस विधेयक को 288 के मुकाबले 232 मतों से लोकसभा की मंजूरी मिल गई। इस महत्वपूर्ण विधेयक को पारित कराने के लिए सदन की बैठक रात लगभग दो बजे तक चली

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Apr 03, 2025 पर 3:21 PM
Waqf Amendment Bill: वक्फ बिल पर राज्यसभा में बहस के दौरान तीखी बहस, अमित शाह की विपक्ष से अपील- 'सदन में गलत जानकारी ना दे'
Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन विधेयक पर राज्यसभा सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस चल रही है

Waqf Amendment Bill In Rajya Sabha: लोकसभा से पारित होने के बाद वक्फ संशोधन विधेयक को गुरुवार (3 अप्रैल) दोपहर एक बजे राज्यसभा में पेश किया गया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में बिल पेश करते हुए कहा वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर पहले सरकार और फिर संसद की संयुक्त समिति (JPC) ने विभिन्न पक्षों से व्यापक विचार विमर्श किय। इस बीच, राज्यसभा में कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर आरोप लगाया कि उसने 2013 में वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करने के बाद अपना रुख इसलिए बदल लिया क्योंकि 2024 के चुनाव में उसे स्पष्ट बहुमत नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि वह वक्फ कानून के बारे में देश में तमाम तरह की भ्रांतियां फैला रही है। हुसैन ने कहा कि 2013 में जब यह विधेयक संसद में आया तो लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में बीजेपी के नेताओं ने उसका समर्थन किया था। लेकिन आज इसे दमनकारी कानून करार दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2024 में जब सत्तारूढ़ बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और वह 240 सीटों पर सिमट गई तो उसे इस वक्फ कानून की याद आई। उन्होंने कहा कि बीजेपी शासित कई प्रदेशों में तो वक्फ़ बोर्ड गठित ही नहीं किए गए। आज अल्पसंख्यक मंत्री वक्फ में पारदर्शिता लाने की बात कर रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ दल अपनी वोट बैंक की राजनीति के लिए यह विधेयक लेकर आया है। हुसैन ने सरकार को चुनौती दी कि विधेयक पर विचार के लिए जो संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित की गई थी। उसमें आए अधिकतर लोगों ने विधेयक के खिलाफ राय दी। उन्होंने सरकार को चुनौती दी कि जेपीसी और सरकार के पास इस विधेयक को लेकर जो ज्ञापन और दस्तावेज आए। उन्हें सार्वजनिक किया जाए ताकि देश को पता चल सके कि विधेयक के पक्ष में कितने लोगों ने सुझाव दिये और कितने लोगों ने इसका विरोध किया।

जेपीसी के सदस्य हुसैन ने कहा कि समिति की बैठक में विधेयक के प्रावधानों पर विस्तार से विचार विमर्श नहीं किया गया। विपक्ष के सदस्यों की आवाज को दबाया गया। उन्होंने दावा किया कि विपक्षी सदस्यों की किसी भी सिफारिश को जेपीसी रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया। कांग्रेस सदस्य ने सुझाव दिया कि पर्सनल लॉ को छोड़कर सभी धर्मों एवं संप्रदायों के मामलों के लिए एक समान कानून बनाया जाना चाहिए।

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