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5 साल बाद थर्मल पावर में लौट रही हैं Adani Power, Tata Power, Vedanta जैसी कंपनियां, Coal India की भी हो रही है एंट्री

सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, नई कोयला बेस्ड थर्मल पावर क्षमता स्थापित करने की अनुमानित पूंजीगत लागत कम से कम 8.34 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट है। इसलिए, 2031-32 तक थर्मल पावर कैपेसिटी एडिशन पर कम से कम 6,67,200 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड May 19, 2025 पर 8:54 PM
5 साल बाद थर्मल पावर में लौट रही हैं Adani Power, Tata Power, Vedanta जैसी कंपनियां, Coal India की भी हो रही है एंट्री
सरकार ने वित्त वर्ष 2032 तक पर्याप्त थर्मल पावर क्षमता वृद्धि का अनुमान लगाया है।

अदाणी पावर, टाटा पावर, वेदांता ग्रुप, JSW एनर्जी और टोरेंट पावर जैसी प्राइवेट कंपनियां कम से कम 5 साल के गैप के बाद थर्मल पावर सेक्टर में वापसी कर रही हैं। सरकार का अनुमान है कि 2031-32 तक भारत में कम से कम 80 गीगावाट (जीडब्ल्यू) कोयला बेस्ड नई बिजली उत्पादन क्षमता की जरूरत होगी। दिलचस्प यह है कि कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) जैसी सरकारी कंपनियां जिनका पहले बिजली उत्पादन से कोई लेनादेना नहीं था, अब थर्मल पावर कारोबार में उतर रही हैं।

CIL ने 21 अप्रैल को कहा था कि वह झारखंड में दामोदर वैली कॉरपोरेशन के साथ मिलकर 1,600 मेगावाट का अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल पावर प्लांट लगाएगी। इससे पहले CIL ने मध्य प्रदेश और ओडिशा में 2 थर्मल पावर प्लांट्स की घोषणा की थी।

कोयला बेस्ड प्रोजेक्ट्स की बढ़ती मांग, सरकारी कंपनी BHEL की ऑर्डरबुक में भी दिखती है। यह कंपनी थर्मल पावर प्लांट्स के लिए इक्विपमेंट्स को डिजाइन और मैन्युफैक्चर करेन के साथ—साथ उन्हें इंस्टॉल भी करती है। बिजली क्षेत्र में BHEL की ऑर्डरबुक वित्त वर्ष 2025 में 63 प्रतिशत बढ़कर 1,57,922 करोड़ रुपये हो गई। वित्त वर्ष 2024 में यह 96,731 करोड़ रुपये थी।

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