अदाणी पावर, टाटा पावर, वेदांता ग्रुप, JSW एनर्जी और टोरेंट पावर जैसी प्राइवेट कंपनियां कम से कम 5 साल के गैप के बाद थर्मल पावर सेक्टर में वापसी कर रही हैं। सरकार का अनुमान है कि 2031-32 तक भारत में कम से कम 80 गीगावाट (जीडब्ल्यू) कोयला बेस्ड नई बिजली उत्पादन क्षमता की जरूरत होगी। दिलचस्प यह है कि कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) जैसी सरकारी कंपनियां जिनका पहले बिजली उत्पादन से कोई लेनादेना नहीं था, अब थर्मल पावर कारोबार में उतर रही हैं।