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नीदरलैंड में चीनी चिप कंपनी के कंट्रोल की लड़ाई कारमेकर्स के लिए बनी संकट, Honda को मेक्सिको प्लांट में बंद करना पड़ा उत्पादन

मॉडर्न व्हीकल Nexperia की चिप्स के प्रकार पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं। नेक्सपेरिया की चिप्स के बिना असेंबली लाइंस ठप हो सकती हैं। यह सरल लेकिन जरूरी डिस्क्रीट सेमीकंडक्टर, स्विच, डायोड और लॉजिक चिप्स बनाती है

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Nov 09, 2025 पर 10:50 AM
नीदरलैंड में चीनी चिप कंपनी के कंट्रोल की लड़ाई कारमेकर्स के लिए बनी संकट, Honda को मेक्सिको प्लांट में बंद करना पड़ा उत्पादन
नीदरलैंड में यह मसला गवर्नेंस संबंधी विवाद के रूप में शुरू हुआ था।

यूरोप की एक सेमीकंडक्टर कंपनी के अंदर के सत्ता संघर्ष ने ग्लोबल ऑटो इंडस्ट्री में संकट खड़ा कर दिया है। नीदरलैंड में चीन के मालिकाना हक वाली चिप निर्माता कंपनी नेक्सपेरिया पर कंट्रोल की लड़ाई के चलते दुनिया भर में व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स के लिए महत्वपूर्ण कलपुर्जों की सप्लाई बाधित हो गई है। इसकी वजह से जापान की होंडा को मेक्सिको में अपने एक प्रमुख प्लांट में उत्पादन रोकना पड़ा है। नीदरलैंड में यह मसला गवर्नेंस संबंधी विवाद के रूप में शुरू हुआ था।

एसोसिएटेड प्रेस (AP) के अनुसार, यह संकट अक्टूबर के मध्य में सामने आया। हुआ यूं कि डच सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए, नेक्सपेरिया पर प्रभावी नियंत्रण पाने के लिए दूसरे विश्व युद्ध के समय के एक दुर्लभ कानून का इस्तेमाल किया। आर्थिक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि उसने गवर्नेंस से जुड़ी गंभीर कमियों को रोकने के लिए कार्रवाई की। इन कमियों के चलते यूरोप की तकनीकी जानकारी विदेशियों के सामने आने का खतरा था। इस कदम ने नेक्सपेरिया की चीनी मालिक, विंगटेक टेक्नोलॉजी को हाशिये पर धकेल दिया। साथ ही एक डच अदालत को चीनी सीईओ झांग ज़ुएझेंग को पद से हटाने के लिए मजबूर कर दिया। विंगटेक टेक्नोलॉजी में कुछ हद तक सरकारी हिस्सेदारी है।

अमेरिका और चीन के बीच यूं फंस गया नीदरलैंड

रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद मामले में एक दिलचस्प मोड़ आया। सामने आया कि अमेरिकी अधिकारियों ने कथित तौर पर नीदरलैंड को बताया था कि अमेरिकी व्यापार प्रतिबंधों को रोकने के लिए झांग को हटाना जरूरी है। इस हस्तक्षेप ने नीदरलैंड को एक कूटनीतिक संकट में डाल दिया। वह अमेरिका की सुरक्षा मांगों और चीन के आर्थिक प्रतिशोध के बीच फंस गया। यह पूरा ड्रामा अमेरिका-चीन के बीच टेक्नोलॉजी को लेकर मुकाबले का मसला है। पिछले साल, अमेरिका ने विंगटेक को अपनी व्यापारिक ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था।

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