Get App

बजट 2023 : निर्मला सीतारमण घर खरीदारों को ज्यादा टैक्स-छूट सहित ये तोहफे दे सकती हैं

बजट 2023: पिछले कई साल से घर खरीदने पर टैक्स में मिलने वाली रियायतों में बदलाव नहीं किया गया है। होम लोन के प्रिंसिपल पर टैक्स डिडक्शन इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत आता है। चूंकि, पहले से इस सेक्शन में एक दर्जन इनवेस्टमेंट ऑप्शंस शामिल हैं, जिससे घर खरीदार को इस सेक्शन का ज्यादा फायदा नहीं मिलता है

Parijat Sinhaअपडेटेड Dec 19, 2022 पर 4:16 PM
बजट 2023 : निर्मला सीतारमण घर खरीदारों को ज्यादा टैक्स-छूट सहित ये तोहफे दे सकती हैं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले यूनियन बजट में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम का ऐलान कर सकती हैं। फिलहाल रियल एस्टेट कंपनियों को प्रोजेक्ट के लिए 70 अप्रूवल हासिल करने पड़ते हैं। इसके लिए उन्हें अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसमें काफी समय लग जाता है।

बजट 2023: करीब ढाई-तीन साल बाद रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) में रौनक लौट रही है। दिल्ली, मुंबई, गुड़गांव, नोएडा, पुणे जैसे शहरों में घरों की मांग बढ़ी है। अगले यूनियन बजट (Budget 2023) में रियल एस्टेट सेक्टर पर सरकार का फोकस रहने की उम्मीद है। इसकी कई वजहें हैं। पहला, सरकार आबादी के बड़े हिस्से को अपना घर उपलब्ध कराने के टारगेट को जल्द हासिल करना चाहती है। दूसरा, घरों की मांग बढ़ने से रियल एस्टेट सेक्टर में गतिविधियां बढ़ेंगी। इसका फायदा पूरी इकोनॉमी को होगा।

रियल एस्टेट सेक्टर में गतिविधियां बढ़ने से कई सेक्टर को फायदा

दरअसल, रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी से सीमेंट, स्टील, पेंट्स सहित कई इंडस्ट्री को फायदा होता है। इसके अलावा रियल एस्टेट सेक्टर रोजगार देने के मामले में भी दूसरे सेक्टर से आगे है। ऐसे में उम्मीद है कि फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट (Union Budget) में बड़े उपायों का ऐलान कर सकती हैं।

सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम की शुरुआत

वित्त मंत्री अगले यूनियन बजट में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम का ऐलान कर सकती हैं। फिलहाल रियल एस्टेट कंपनियों को प्रोजेक्ट के लिए 70 अप्रूवल हासिल करने पड़ते हैं। इसके लिए उन्हें अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसमें काफी समय लग जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, इसमें करीब 1 से 2 साल का समय लग जाता है। सिंगल विंड क्लियरेंस सिस्टम लागू होने से प्रोजेक्ट की कॉस्ट में भी कमी आएगी। डेवेलपर्स समय पर प्रोजेक्ट लॉन्च और पूरे कर सकेंगे। इससे घर खरीदने वालों को भी फायदा होगा।

सब समाचार

+ और भी पढ़ें