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Budget 2024 : फिस्कल डेफिसिट घटाने और पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर होगा फोकस, इकोनॉमिस्ट्स की राय

Interim Budget 2024 : इस साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनावों से पहले पेश होने वाले बजट में सरकार लोकलुभावन ऐलानों और आर्थिक स्थिति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेगी। सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 तक फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.5 फीसदी तक लाने का लक्ष्य तय किया है। इस वित्त वर्ष में सरकार ने फिस्कल डेफिसिट का 5.9 फीसदी का लक्ष्य तय किया था

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 22, 2024 पर 3:51 PM
Budget 2024 : फिस्कल डेफिसिट घटाने और पूंजीगत खर्च बढ़ाने पर होगा फोकस, इकोनॉमिस्ट्स की राय
Budget 2024 : इस वित्त वर्ष में सरकार ने 10 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत खर्च का टारगेट रखा था। यह एक साल पहले के पूंजीगत खर्च से 33 फीसदी ज्यादा है। सरकार अगले वित्त वर्ष में पूंजीगत खर्च का लक्ष्य 15 फीसदी बढ़ाकर 11.5 लाख करोड़ रुपये कर सकती है।

Union Budget 2024 : वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman फिस्कल डेफिसिट के टारगेट को घटा सकती हैं, जबकि कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ा सकती हैं। इकोनॉमिस्ट्स के बीच किए गए एक पोल से यह संकेत मिले हैं। यह पोल रायटर्स ने कराया है। इसमें इकोनॉमिस्ट्स ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश सरकार की प्राथमिकता बनी रहेगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इस साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनावों से पहले पेश होने वाले बजट में सरकार लोकलुभावन ऐलानों और आर्थिक स्थिति के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेगी। सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 तक फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 4.5 फीसदी तक लाने का लक्ष्य तय किया है। इस वित्त वर्ष में सरकार ने फिस्कल डेफिसिट का 5.9 फीसदी का लक्ष्य तय किया था।

बजट 2024 में फिस्कल डेफिसिट का 5.3 फीसदी लक्ष्य तय कर सकती हैं वित्तमंत्री

रायटर्स का यह पोल 10-19 जनवरी के बीच किया गया। इसमें 41 इकोनॉमिस्ट्स ने हिस्सा लिया। इकोनॉमिस्ट्स का मानना है कि 1 फरवरी को पेश बजट में सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट का 5.3 फीसदी लक्ष्य तय कर सकती है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के प्रमुख इकोनॉमिस्ट एलेक्जेंडर हरमैन ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 तक 4.5 फीसदी फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार को कुल खर्च में हर साल औसत 7 फीसदी से ज्यादा वृद्धि करनी पड़ेगी। इसका मतलब है कि आने वाले सालों में खर्च में ज्यादा कमी की जा सकती है।

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