पारिजाद सिरवाला
पारिजाद सिरवाला
यूनियन बजट 2023: यूनियन बजट (Union Budget) की तारीख नजदीक आते ही टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स के नियमों में बदलाव की उम्मीद करने लगते हैं। सबसे ज्यादा उम्मीद इनकम टैक्स में राहत से जुड़ी होती है। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को यूनियन बजट पेश करेंगी। यह बजट फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के लिए होगा। यह अगले साल लोकसभा चुनावों से पहले मोदी 2.0 सरकार का अंतिम पूर्ण बजट होगा। 2024 में लोकसभा चुनावों के बाद केंद्र की नई सरकार फाइनेंशियल ईयर 2024-25 का पूर्ण बजट पेश करेगी। यहां हम ऐसे दो पहलुओं के बारे में चर्चा कर रहे हैं, जिनके बारे में वित्त मंत्री यूनियन बजट में ऐलान कर सकती हैं।
इनकम टैक्स की नई रीजीम
सरकार ने फाइनेंशियल ईयर 2020-21 से इनकम टैक्स की नई रीजीम की शुरुआत की थी। इसमें कम टैक्स रेट्स के साथ कई स्लैब के ऑप्शंस दिए गए थे। लेकिन, नई टैक्स रीजीम का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स को कई तरह के डिडक्शंस और एग्जेम्प्शंस के फायदे नहीं मिलते हैं। इनमें हाउस रेंट अलाउन्स एग्जेम्प्शन, सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शंस और हाउसिंग लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शंस शामिल हैं।
उम्मीद की जा रही है कि यूनियन बजट 2023 में न्यू टैक्स रीजीम में एनुअल बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी जाएगी। इससे 5 लाख रुपये से ज्यादा इनकम वाला टैक्सपेयर एक साल में 13,000 से 17,810 रुपये तक की बचत कर सकता है। यह बेसिक इनकम लेवल पर लगने वाले सरचार्ज पर निर्भर करेगा। हालांकि, व्यापक विश्लेषण के बाद ही पता चलेगा कि इसका फायदा कितने टैक्सपेयर्स को मिलेगा और सरकार के फिस्कल डेफिसिट पर इसका क्या असर पड़ेगा।
सरकार सेक्शन 80डी के तहत मेडिक्लेम प्रीमियम पर मिलने वाले डिडक्शंस को न्यू टैक्स रीजीम में शामिल कर सकती है। इससे न्यू टैक्स रीजीम को अट्रैक्टिव बनाने में मदद मिलेगी। इससे आबादी के बड़े हिस्से को कम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में लाने में भी मदद मिलेगी।
हर व्यक्ति खुद के रहने के लिए घर खरीदना चाहता है। यह लॉन्ग-टर्म फाइनेंशियल कमिटमेंट है। इसलिए हाउसिंग लोन के इंटरेस्ट पर डिडक्शन का बेनेफिट न्यू टैक्स रीजीम का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स को भी मिलना चाहिए।
कैपिटल गेंस टैक्स
अभी कैपिटल गेंस टैक्स के कैलकुलेशन के लिए कई तरह के मानकों का ध्यान रखना पड़ता है। इसमें कैपिटल एसेट का नेचर, होल्डिंग पीरियड और हर एसेट के लिए इनकम टैक्स के रेट्स शामिल हैं। लॉन्ग-टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस के लिए हर एसेट के हिसाब से होल्डिंग पीरियड अलग-अलग हैं। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस के लिए होल्डिंग पीरियड डेट इंस्ट्रूमेंट्स के लिए 36 महीने, अचल संपत्ति के लिए 24 महीने और लिस्टेड शेयरों के लिए 1 साल है। इक्विटी म्यूचुअल फंड्स के लिए भी एक साल है। लिस्टेड शेयर, इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स 10 फीसदी है। दूसरे एसेट्स के लिए यह 20 फीसदी है।
कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में इस अंतर को देखते हुए उम्मीद है कि यूनियन बजट 2023 में इसमें बदलाव के ऐलान होंगे। इन्हें आसान और आम टैक्यपेयर्स के लिए सुविधाजनक बनाने के लिए नियमें में बदलाव किए जा सकते हैं।
पिछले कुछ सालों से इंडियन मार्केट में बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। इसलिए कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बदलाव का कितना असर लिस्टेड शेयरों और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स पर पड़ेगा, इसे देखना जरूरी होगा। फाइनेंशियल ईयर 2017-18 तक लिस्टेड शेयरों और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड्स यूनिट पर यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस नहीं लगता था। अभी 1 लाख रुपये तक के गेंस पर इनकम टैक्स से छूट हासिल है। इसे बढ़ाकर सालाना 2 लाख रुपये करने की जरूरत है।
(पारिजाद सिरवाला KPMG में पार्टनर और हेड (ग्लोबल मोबिलिटी सर्विसेज) हैं। यहां व्यक्त विचार उनके अपने विचार हैं। ये इस प्रकाशन के विचार नहीं हैं।)
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