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ट्रंप के एच-1बी वीजा फीस बढ़ाने से अमेरिकी बैंकों की भारत पर बढ़ जाएगी निर्भरता

भारत में जीसीसी अमेरिकी बैंकों को कम कीमत पर सर्विसेज ऑफर करते हैं। इसके अलावा अमेरिकी बैंकों को जीसीसी के जरिए ऐसा टैलेंट मिलता है, जो उन्हें अपने देश में नहीं मिलता है। GCC का मार्केट 64 अरब डॉलर का हो गया है। 2019 से 2024 के बीच इसकी सालना ग्रोथ करीब 9.8 फीसदी रही है

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 22, 2025 पर 9:57 PM
ट्रंप के एच-1बी वीजा फीस बढ़ाने से अमेरिकी बैंकों की भारत पर बढ़ जाएगी निर्भरता
सिटीग्रुप के इंडिया में जीसीसी में 33,000 एंप्लॉयीज हैं। बैंक ऑफ अमेरिका के 27,000 हैं और जेपी मॉर्गन के 10,000 एंप्लॉयीज हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा फीस बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर करने के बाद अमेरिकी बैंकों की निर्भरता भारत पर बढ़ सकती है। सिटीग्रुप, जेपी मॉर्गन चेज और गोल्डमैन सैक्स जैसे बड़े अमेरिकी बैंकों के इंडिया में ग्लोबल कैपिबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) में काफी ज्यादा एंप्लॉयीज हैं। ये एंप्लॉयीज ट्रेडिंग सपोर्ट, रिस्क मैनेजमेंट से लेकर टेक्नोलॉजिकल असिस्टेंस देते हैं।

जीसीसी के जरिए अमेरिकी बैंकों को कम कीमत पर टैलेंट मिल जाता है

GCC अमेरिकी बैंकों को कम कीमत पर सर्विसेज ऑफर करते हैं। इसके अलावा अमेरिकी बैंकों को जीसीसी के जरिए ऐसा टैलेंट मिलता है, जो उन्हें अपने देश में नहीं मिलता है। एनालिस्ट्स का कहना है कि ट्रंप विदेशी लोगों को अमेरिका में नौकरी के दरवाजे बंद करना चाहते हैं। उनकी कोशिश अमेरिकी नौकरियां अमेरिकी लोगों के लिए सुरक्षित करने की है। लेकिन, उनकी इस पॉलिसी से अमेरिका को फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। एच-1बी वीजा प्रोगाम की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर देने से अमेरिकी बैंक भारत में टेक्नोलॉजी के हब माने जाने वाले मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में अपने एंप्लॉयीज बढ़ा सकते हैं।

इंडिया में जीसीसी में अमेरिकी बैंकों के 19 लाख एंप्लॉयीज

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