Get App

H-1B Fee Hike: भारतीय IT कंपनियों पर ट्रंप के ऐलान का नहीं पड़ेगा बड़ा असर, पहले से वीजा पर घटा रहीं निर्भरता

H-1B Visa Fee Hike: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 सितंबर को H-1B वीजा की फीस को कई गुना बढ़ाकर 1 लाख डॉलर करने का ऐलान किया। हालांकि इस फैसले से भारत के आईटी सेक्टर पर कोई बहुत बड़ा असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। इसकी वजह यह है कि भारतीय आईटी कंपनियां पिछले काफी समय से H-1B वीजा पर लगातार अपनी निर्भरता घटा रही हैं

Edited By: Vikrant singhअपडेटेड Sep 20, 2025 पर 3:47 PM
H-1B Fee Hike: भारतीय IT कंपनियों पर ट्रंप के ऐलान का नहीं पड़ेगा बड़ा असर, पहले से वीजा पर घटा रहीं निर्भरता
H-1B वीजा अमेरिका में काम करने वाली कंपनियों को STEM और IT जैसे सेक्टर्स में विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की इजाजत देता है

H-1B Visa Fee Hike: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 सितंबर को H-1B वीजा की फीस को कई गुना बढ़ाकर 1 लाख डॉलर करने का ऐलान किया। हालांकि इस फैसले से भारत के आईटी सेक्टर पर कोई बहुत बड़ा असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। इसकी वजह यह है कि भारतीय आईटी कंपनियां पिछले काफी समय से H-1B वीजा पर लगातार अपनी निर्भरता घटा रही हैं और अमेरिकी बाजार में लोकल हायरिंग को प्राथमिकता दे रही हैं।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), इंफोसिस (Infosys), एचसीएलटेक (HCLTech), विप्रो (Wipro) और टेक महिंद्रा (Tech Mahindra) जैसी कंपनियों की नॉर्थ अमेरिका में कर्मचारी तैनात करने के लिए H-1B वीजा पर निर्भरता अब 20 फीसदी से लेकर 50 फीसदी तक ही है।

H-1B वीजा अमेरिका में काम करने वाली कंपनियों को STEM और IT जैसे सेक्टर्स में विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की इजाजत देता है। हालांकि भारत की टॉप 7 आईटी कंपनियों के लिए 2015 से 2023 के बीच स्वीकृत H-1B आवेदनों की संख्या में 56 फीसदी की गिरावट आई और यह घटकर 6,700 रह गई। Infosys और TCS जैसी कंपनियां अब अमेरिका में अपने 50% से अधिक कर्मचारी लोकल स्तर पर हायर कर रही है, जिससे वीजा पर उनकी निर्भरता घटी है।

कंपनियों की रणनीति

सब समाचार

+ और भी पढ़ें