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प्राइवेट बैंकों में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर में उछाल, RBI ने जताई चिंता

RBI ने रिपोर्ट में कहा है कि बैंकों को लॉन्ग टर्म के लिए कर्मचारियों के साथ जुड़े रहने के लिए बेहतर ऑनबोर्डिंग प्रोसेस, व्यापक ट्रेनिंग और करियर डेवलपमेंट के अवसर प्रदान करना चाहिए। इसके साथ ही मेंटोरशिप प्रोग्राम, कंपटीटिव बेनिफिट और सपोर्टिव वर्कप्लेस कल्चर जैसी रणनीतियों को लागू करने की जरूरत है

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 29, 2024 पर 5:32 PM
प्राइवेट बैंकों में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर में उछाल, RBI ने जताई चिंता
प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने या बदलने की दर (Attrition Rate) में लगभग 25 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है।

Attrition Rate: प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने या बदलने की दर (Attrition Rate) में लगभग 25 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। इस तरह एट्रिशन रेट का अधिक होना प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के लिए ऑपरेशनल रिस्क पैदा करता है। ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडियाकी लेटेस्ट 2023-24 रिपोर्ट में यह बात कही गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनिंदा प्राइवेट सेक्टर के बैंकों और स्मॉल फाइनेंस बैंकों (SFB) में कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की दर अधिक है।

25 फीसदी पर पहुंचा प्राइवेट बैंकों में एट्रिशन रेट

रिपोर्ट कहती है कि 2023-24 के दौरान प्राइवेट बैंकों के कर्मचारियों की कुल संख्या पब्लिक सेक्टर के बैंकों (PSB) से अधिक हो जाएगी, लेकिन पिछले तीन वर्षों में उनके एट्रिशन रेट में तेजी से वृद्धि हुई है, और यह औसतन लगभग 25 फीसदी पर पहुंच गई है।

इसमें कहा गया, “इस तरह की स्थिति बड़ा ऑपरेशनल रिस्क पैदा करती है, जिसमें कस्टमर सर्विस में दिक्कत शामिल है। इसके अलावा इंस्टीट्यूशनल नॉलेज की हानि और रिक्रूटमेंट कॉस्ट में वृद्धि होती है। बैंकों के साथ बातचीत में रिजर्व बैंक ने जोर दिया है कि कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने के ट्रेंड को कम करना सिर्फ ह्यूमन रिसोर्स का काम नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक जरूरत है।”

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