Rapido Food Delivery: बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर और लॉजिस्टिक्स सर्विस प्रोवाइडर रैपिडो (Rapido) ने फूड डिलीवरी सेगमेंट में एंट्री की है। इससे माना जा रहा था कि जोमैटो और स्विगी की मुश्किल बढ़ सकती है, जिनकी इस सेक्टर पर डुओपॉली है।
Rapido Food Delivery: बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर और लॉजिस्टिक्स सर्विस प्रोवाइडर रैपिडो (Rapido) ने फूड डिलीवरी सेगमेंट में एंट्री की है। इससे माना जा रहा था कि जोमैटो और स्विगी की मुश्किल बढ़ सकती है, जिनकी इस सेक्टर पर डुओपॉली है।
हालांकि, ब्रोकरेज फर्म Bernstein का कहना है कि रैपिडो की फूड डिलीवरी में एंट्री जोमैटो और स्विगी के मौजूदा दबदबे को चुनौती नहीं दे पाएगी। एनालिस्ट राहुल मल्होत्रा की अगुवाई में तैयार रिपोर्ट के अनुसार, इस सेक्टर की ऑपरेशनल जटिलता और मौजूदा मार्केट डायनामिक्स नए खिलाड़ियों के लिए स्केल बनाना मुश्किल कर देते हैं।
रैपिडो की नई योजना की खबरों के बाद Eternal (Zomato की पैरेंट कंपनी) में मामूली बढ़त और स्विगी के शेयरों में करीब 2% की गिरावट देखने को मिली। आइए जानते हैं कि रैपिडो का क्या प्लान है और इसका ओवरऑल फूड डिलीवरी मार्केट पर क्या असर होगा।
क्या है Rapido का प्लान?
रैपिडो अब तक करीब $600 मिलियन की फंडिंग जुटा चुकी है। वह अपने 30 लाख ड्राइवरों के नेटवर्क का फायदा उठाकर 8–15% तक की कम कमीशन दर पर रेस्टोरेंट से डील करेगा। इसकी तुलना में जोमैटो और स्विगी 18–20% तक कमीशन लेते हैं। रैपिडो का नया वर्टिकल 'Ownly' नाम से लॉन्च होगा, जो 150 रुपये से कम कीमत वाले खाने पर फोकस करेगा। यह जीरो कमीशन मॉडल पर चलेगा। इसमें न पैकेजिंग फीस होगी, न प्लेटफॉर्म चार्ज।
रैपिडो का पायलट प्रोग्राम सबसे पहले बेंगलुरु में शुरू होगा, जिसमें रेस्टोरेंट्स को कम से कम चार किफायती डिशेज लिस्ट करनी होंगी।
लेकिन क्यों नहीं होगा बड़ा असर?
Bernstein का कहना है कि इस मार्केट में पहले भी Amazon, Ola और ONDC जैसे बड़े नाम उतर चुके हैं, लेकिन सब असफल रहे। इसकी कुछ खास वजहें रही हैं:
भारत में औसतन एक फूड ऑर्डर 400–500 रुपये का होता है। वहीं, डिलीवरी की लागत 50–60 रुपये तक जाती है। Rapido के मॉडल में इतने कम मार्जिन हैं कि ऑपरेशन को बढ़ाना या उसमें दोबारा निवेश करना बेहद मुश्किल होगा।
Zomato और Swiggy का दबदबा
जोमैटो और स्विगी ने अब तक इस क्षेत्र में $2–3 बिलियन तक का निवेश कर रखा है। उनके पास मजबूत सप्लाई बेस और ब्रांड लॉयल्टी है। वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही तक जोमैटो के पास 3.14 लाख और स्विगी के पास 2.52 लाख मंथली एक्टिव रेस्टोरेंट पार्टनर्स थे।
Bernstein के मुताबिक, अभी जोमैटो के पास 54% और स्विगी के पास 46% मार्केट शेयर है। रैपिडो की एंट्री से मौजूदा लीडर्स पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि इसका स्कोप अभी सिर्फ बेंगलुरु तक सीमित है। Bernstein की रिपोर्ट कहतीवहै कि यह मुमकिन है कि रैपिडो कुछ नए रेस्टोरेंट्स को प्लेटफॉर्म पर लाए- खासकर टियर-2/3 शहरों के कम AOV वाले आउटलेट्स को। लेकिन इससे पूरा मार्केट बढ़ेगा, Zomato-Swiggy का हिस्सा नहीं घटेगा।
प्रॉफिटेबिलिटी और टिकाऊपन पर सवाल
रैपिडो का लो-कमीशन मॉडल छोटे रेस्टोरेंट्स को आकर्षित कर सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में उसे अपनी फीस बढ़ानी ही पड़ेगी। अभी कंपनी घाटे में चल रही है। Swiggy खुद इसमें 12–13% की हिस्सेदारी रखती है। रैपिडो बाद में एक फ्लैट सब्सक्रिप्शन मॉडल अपनाने की बात कर रहा है, साथ ही प्लेटफॉर्म पर रेस्टोरेंट्स को एडवर्टाइजिंग और यूजर डेटा एक्सेस की सुविधा देगा।
फिलहाल, रैपिडो खुद 20–25 रुपये प्रति ऑर्डर की डिलीवरी लागत उठाएगा। इस पर GST अलग से रहेगी, जो रेस्टोरेंट से ली जाएगी।
निवेशकों के लिए क्या संकेत हैं?
Bernstein का मानना है कि रैपिडो भले ही एक वैकल्पिक मॉडल लेकर आया हो, लेकिन जोमैटो और स्विगी की संरचनात्मक बढ़त अभी भी बरकरार है। उसने जोमैटो और स्विगी दोनों पर "Outperform" रेटिंग बरकरार रखी है:
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