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2023 में भारतीय स्टार्टअप को मिला पांच साल में सबसे कम फंड, लेकिन एक मामले में साबित हुआ दमदार

Indian Startups in 2023: भारतीय स्टार्टअप इको सिस्टम के लिए पिछला साल 2023 कठिनाइयों से भरा रहा। एक तरफ स्टार्टअप्स फंड की कमी से जूझ रहे थे तो एंप्लॉयीज की बड़ी संख्या में छंटनी भी हुई। कंपनियों को ट्रैक करने वाल डेटा प्लेटफॉर्म Tracxn की सालाना रिपोर्ट इंडिया टेक 2003 में लंबे समय से फंडिंग की कमी से जूझ रहे स्टार्टअप्स की चिंताजनक तस्वीर पेश की गई

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Jan 08, 2024 पर 6:58 PM
2023 में भारतीय स्टार्टअप को मिला पांच साल में सबसे कम फंड, लेकिन एक मामले में साबित हुआ दमदार
स्टार्टअप की फंडिंग में 72% तक की गिरावट आई है। पिछले साल 2023 में भारतीय स्टार्टअप्स को 700 करोड़ डॉलर का फंड ही मिल सका। इसके पिछले साल यानी 2022 में भारतीय स्टार्टअप्स ने 2500 करोड़ डॉलर का फंड इकट्ठा किया था।

Indian Startups in 2023: भारतीय स्टार्टअप इको सिस्टम के लिए पिछला साल 2023 कठिनाइयों से भरा रहा। एक तरफ स्टार्टअप्स फंड की कमी से जूझ रहे थे तो एंप्लॉयीज की बड़ी संख्या में छंटनी भी हुई। कंपनियों को ट्रैक करने वाल डेटा प्लेटफॉर्म Tracxn की सालाना रिपोर्ट इंडिया टेक 2003 में लंबे समय से फंडिंग की कमी से जूझ रहे स्टार्टअप्स की चिंताजनक तस्वीर पेश की गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में भारतीय स्टार्टअप्स को पांच साल का सबसे कम फंड मिला। इसका झटका स्टार्टअप ने ग्रोथ के सभी कदमों पर महसूस किया और इससे भारत की ग्लोबल रैंकिंग में पांचवें स्थान तक गिरावट आई।

फंडिंग में 72% तक की गिरावट

रिपोर्ट के मुताबिक स्टार्टअप की फंडिंग में 72% तक की गिरावट आई है। पिछले साल 2023 में भारतीय स्टार्टअप्स को 700 करोड़ डॉलर का फंड ही मिल सका। इसके पिछले साल यानी 2022 में भारतीय स्टार्टअप्स ने 2500 करोड़ डॉलर का फंड इकट्ठा किया था। वहीं आखिरी चरण में फंड जुटाने में तो स्टार्टअप्स को और अधिक दिक्कतें आईं और 2022 की तुलना में 2023 में इसमें 73 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। 2022 में जहां स्टार्टअप कंपनियों ने आखिरी चरणों में 1560 करोड़ डॉलर का निवेश हासिल किया था, वहीं 2023 में कंपनियां केवल 420 करोड़ डॉलर ही जुटा पाईं।

फिनटेक की बात करें तो 2022 में इसने 580 करोड़ डॉलर का फंड जुटाया था लेकिन 2023 में ये सिर्फ 210 करोड़ डॉलर का ही फंड जुटा पाईं। पिछले साल रिटेल सेक्टर की फंडिंग में 67 फीसदी की तेज गिरावट आई और इसे केवल 190 करोड़ डॉलर का ही फंड मिल सका। इसके अलावा एंटरप्राइज एप्लिकेशंस की फंडिंग में भी 78 फीसदी की गिरावट आई और 156 करोड़ डॉलर का ही फंड मिल सका।

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