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Go First के लिए 425 करोड़ रुपये का लोन अच्छा है, लेकिन कंपनी को Satyam की तरह मैनेजमेंट में बदलाव करना होगा

गोफर्स्ट को लोन देने वाले बैंकों के समूह (CoC यानी कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स) ने कंपनी को 425 करोड़ रुपये का नया लोन देने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। इस पैसे का इस्तेमाल गोफर्स्ट दोबारा अपनी हवाई सेवाएं शुरू करने के लिए करेगी। गोफर्स्ट के लिए यह बहुत अच्छी खबर है। लेकिन, लोन का यह प्रस्ताव जब बैंकों के बोर्ड के सामने एप्रूवल के लिए जाएगा तो कई तरह के सवाल पूछे जाएंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि बैंकों के बोर्ड के सदस्य रेवेन्यू, लोड फैक्टर, ऑपरेशन जारी रखने की क्षमता आदि के बारे में गोफर्स्ट की तरफ से दी गई जानकारियों पर किस तरह से विचार करते हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Jun 27, 2023 पर 1:15 PM
Go First के लिए 425 करोड़ रुपये का लोन अच्छा है, लेकिन कंपनी को Satyam की तरह मैनेजमेंट में बदलाव करना होगा
GoFirst को दूसरी सेवाओं के लिए भी करीब 5000 करोड़ रुपये के बकाया का पेमेंट करना है। कंपनी की सेवाएं दोबारा शुरू होने से पहले ये कंपनियां पेमेंट के लिए गोफर्स्ट पर दबाव बनाएंगी। अगर गोफर्स्ट ये पैसे चुकाती है तो नए लोन का ज्यादातर हिस्सा इसी में खर्च हो जाएगा।

इंडिया में बैंकों को 1990 के दशक से पहले एयरलाइंस कंपनियों को लोन देने का कोई अनुभव नहीं था। इसकी वजह थी कि तब दो सिर्फ एयरलाइंस कंपनियां-Air India और Indian Airlines थीं। ये दोनों कंपनियां सरकार की थीं। एविएशन सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलने के बाद बैंकों ने एयरलाइंस कंपनियों को लोन देना शुरू किया। लेकिन, इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। एयरलाइंस कंपनियों को दिए गए हजारों करोड़ रुपये के लोन नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) हो चुके हैं। इसके सबसे बड़े उदाहरण Jet Airways और Kingfisher हैं। कई छोटी एयरलाइंस कंपनियों ने भी लोन के पैसे बैंकों को नहीं चुकाए हैं। Go First के संकट में फंसने के बाद फिर से यह मामला सुर्खियों में आ गया है।

बैंकों के बोर्ड में पूछे जाएंगे कई सवाल

गोफर्स्ट को लोन देने वाले बैंकों के समूह (CoC यानी कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स) ने कंपनी को 425 करोड़ रुपये का नया लोन देने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। इस पैसे का इस्तेमाल गोफर्स्ट दोबारा अपनी हवाई सेवाएं शुरू करने के लिए करेगी। गोफर्स्ट के लिए यह बहुत अच्छी खबर है। लेकिन, लोन का यह प्रस्ताव जब बैंकों के बोर्ड के सामने एप्रूवल के लिए जाएगा तो कई तरह के सवाल पूछे जाएंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि बैंकों के बोर्ड के सदस्य रेवेन्यू, लोड फैक्टर, ऑपरेशन जारी रखने की क्षमता आदि के बारे में गोफर्स्ट की तरफ से दी गई जानकारियों पर किस तरह से विचार करते हैं। वे यह भी देखेंगे कि गोफर्स्ट फंडिंग में आ रही कमी को किस तरह से दूर करेगी। सफलता का सही मंत्र सिर्फ यह है कि वादा कम करो और रिजल्ट ज्यादा दो।

425 करोड़ रुपये का लोन पर्याप्त नहीं

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