इंडिया में बैंकों को 1990 के दशक से पहले एयरलाइंस कंपनियों को लोन देने का कोई अनुभव नहीं था। इसकी वजह थी कि तब दो सिर्फ एयरलाइंस कंपनियां-Air India और Indian Airlines थीं। ये दोनों कंपनियां सरकार की थीं। एविएशन सेक्टर को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोलने के बाद बैंकों ने एयरलाइंस कंपनियों को लोन देना शुरू किया। लेकिन, इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। एयरलाइंस कंपनियों को दिए गए हजारों करोड़ रुपये के लोन नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) हो चुके हैं। इसके सबसे बड़े उदाहरण Jet Airways और Kingfisher हैं। कई छोटी एयरलाइंस कंपनियों ने भी लोन के पैसे बैंकों को नहीं चुकाए हैं। Go First के संकट में फंसने के बाद फिर से यह मामला सुर्खियों में आ गया है।