विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 2000 रुपये मूल्यवर्ग के नोटों को संचलन से वापस लेने के फैसले से बैंकिंग सिस्टम में तरलता (लिक्विडिटी) बढ़ने की संभावना है। तरला बढ़ने से अल्पकालिक ऋण पत्रों (short-term debt instruments) की दरों में गिरावट आ सकती है। मनी मार्केट ऑपरेशन के मुताबिक, 21 मई तक बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी करीब 93461.40 करोड़ रुपये के सरप्लस स्तर पर थी।