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IPO को मिली कई गुना बोली, लेकिन आपको नहीं मिला शेयर? जानें कैसे होता है शेयरों का अलॉटमेंट

जब किसी IPO को कंपनी की ओर से जारी किए गए शेयरों से अधिक बोली मिलती है तो इसे ओवरसब्सक्राइब कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर, अगर कंपनी 10 लाख शेयर जारी करती है लेकिन निवेशकों से उसे 30 लाख शेयरों के लिए आवेदन मिलता है, तो इस आईपीओ को 3 गुना ओवरसब्सक्राइब माना जाएगा

Moneycontrol Newsअपडेटेड Oct 26, 2024 पर 4:28 PM
IPO को मिली कई गुना बोली, लेकिन आपको नहीं मिला शेयर? जानें कैसे होता है शेयरों का अलॉटमेंट
IPO आवेदकों को शेयर आवंटित करने के लिए रजिस्ट्रार की ओर से लॉटरी आयोजित की जाती है

क्या आपको भी IPO में जल्दी शेयर नहीं मिलता है? आमतौर पर जब भी कोई अच्छी कंपनी अपना इनीशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO लाती है, तो उसके शेयरों को कई गुना अधिक बोली या सब्सक्रिप्शन मिलता है। इसे ओवरसब्सक्रिप्शन कहते हैं। ऐसे में कंपनी कैसे तय करती है कि किसे और कितने शेयर मिलेंगे? जब कोई IPO ओवरसब्सक्राइब होता है, तो कंपनियां पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए शेयरों के अलॉटमेंट के लिए एक स्टैंडर्ड प्रक्रिया का इस्तेमाल करती है। यह प्रक्रिया कैसे काम करती है, आइए इसे जानते हैं।

हालांकि इससे पहले यह समझते हैं कि आखिर इनीशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO क्या होता है? आईपीओ वह प्रक्रिया है जिसके तहत एक निजी कंपनी पहली बार अपने शेयरों को पब्लिक के लिए जारी करती है। IPO के जरिए कंपनी व्यक्तिगत और संस्थागत निवेशकों से पूंजी जुटा सकती है, जिसका इस्तेमाल कारोबार के विस्तार, कर्ज का भुगतान या या रिसर्च और डेवलपमेंट में निवेश के लिए किया जा सकता है।

IPO के जरिए पब्लिक इनवेस्टर्स को भी कंपनी का हिस्सा बनने और इसके भविष्य के संभावित ग्रोथ से रूप से लाभ उठाने का मौका मिल सकता है।

ओवरसब्सक्राइब्ड IPO का मतलब क्या है?

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