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Loksabha Elections 2024: कैसरगंज लोकसभा बन गई हॉट सीट, सपा- बसपा ने खेला दांव, पढ़िए सियासी समीकरण

Loksabha Chunav 2024: कैसरगंज, उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। इस संसदीय क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें हैं। 1952 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे। साल 2014 से यह सीट बीजेपी के कब्जे में हैं। बीजेपी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह दो बार चुनाव जीत चुके हैं। इस बार कैसरगंज का चुनाव काफी दिलचस्प माना जा रहा है

Jitendra Singhअपडेटेड May 04, 2024 पर 12:28 PM
Loksabha Elections 2024: कैसरगंज लोकसभा बन गई हॉट सीट, सपा- बसपा ने खेला दांव, पढ़िए सियासी समीकरण
Loksabha Elections 2024: कैसरगंज लोकसभा चुनाव के गठन के बाद 15 बार चुनाव हुए।

कैसरगंज लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। बीजेपी ने ब़ृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटकर उनके बेटे करण भूषण सिंह को टिकट दिया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने भगत राम मिश्रा को मैदान में उतारा है। भगत राम मिश्रा श्रीवास्ती के पूर्व बीजेपी सांसद दद्न मिश्रा के बड़े भाई है। भगत राम मिश्रा बहराइच के रहने वाले हैं। वहीं बसपा ने कैसरगंज सीट से नरेंद्र पाण्डेय को टिकट दिया है। ट्रांसपोर्ट व्यावसायी नरेंद्र पाण्डेय के मुताबिक वह 2004 से ही बसपा से जुड़े हुए हैं। नरेंद्र पाण्डेय बहराइच जिले के पयागपुर विधानसभा क्षेत्र के रामनगर खजुरी गांव के रहने वाले हैं।

इस बार कैसरगंज का चुनाव काफी दिलचस्प होगा। साल 2014 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। बृजभूषण शरण सिंह साल 2014 से दो बार चुनाव जीत चुके हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बृजभूषण शरण सिंह को ही जीत मिली थी। कैसरगंज लोकसभा के गठन के बाद अब तक यहां 15 बार चुनाव हो चुके हैं। सबसे अधिक बार 5 बार सपा का कब्जा रहा। इस सीट से तीन बार कांग्रेस ने बाजी मारी। वहीं दो बार भाजपा जीत का परचम लहराने में सफल रही। वहीं तीन बार भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

कैसरगंज लोकसभा सीट का इतिहास

कैसरगंज में 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे। इस लोकसभा क्षेत्र में बहराइच और गोंडा जिले के कुछ इलाकों को शामिल किया गया है। इसमें से दो विधानसभा क्षेत्र बहराइच जिले के अंदर आते हैं और तीन गोंडा जिले का हिस्सा हैं। लखनऊ से इसकी दूरी 96.6 किलोमीटर है। दिल्ली से इसकी 649.7 किलोमीटर है। यहां से पहली बार भारतीय जनसंघ की शकुंतला नैय्यर को जीत हासिल हुई थी। इसके बाद 1957 में स्वतंत्र पार्टी के भगवानदीन मिश्र और 1962 में बसंत कुमारी स्वतंत्र पार्टी से सांसद चुनी गईं। वहीं 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के राना वीर सिंह इस सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद 1984 और 1989 में राना वीर सिंह की जीत मिली।

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