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'जनता का PMO होना चाहिए, मोदी का नहीं', कार्यभार संभालने के बाद अधिकारियों से बोले प्रधानमंत्री

PMO में प्रवेश करते ही स्टाफ ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया। तीसरी बार कार्यभार संभालने के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आने वाले वर्षों में वैश्विक मापदंडों से भी आगे जाकर काम करना है। उन्होंने उन्होंने कहा कि जहां कोई नहीं पहुंचा, वहां अपने देश को हमें पहुंचाना है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jun 10, 2024 पर 5:29 PM
'जनता का PMO होना चाहिए, मोदी का नहीं', कार्यभार संभालने के बाद अधिकारियों से बोले प्रधानमंत्री
पीएम मोदी ने कहा कि जहां कोई नहीं पहुंचा, वहां अपने देश को हमें पहुंचाना है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (10 जून) को कहा कि 2014 से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को सत्ता का केंद्र माना जाता था। प्रधानमंत्री कार्यालय में कर्मचारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनका हमेशा से मानना ​​रहा है कि इसे सिर्फ मोदी का नहीं बल्कि जनता का पीएमओ होना चाहिए। पीएम ने कहा, "प्रधानमंत्री कार्यालय को 2014 से पहले सत्ता के केंद्र के रूप में देखा जाता था। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि इसे जनता का पीएमओ होना चाहिए, मोदी का नहीं।"

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि सफल इंसान वो होता है, जिसके भीतर का विद्यार्थी कभी मरता नहीं है। पीएम ने कहा कि इस विजय के बड़े हकदार भारत सरकार के कर्मचारी भी हैं, जिन्होंने एक विजन के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि जहां कोई नहीं पहुंचा, वहां अपने देश को हमें पहुंचाना है।

बता दें कि पीएम मोदी ने 9 जून को ऐतिहासिक तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। कैंपस में प्रवेश करते ही पीएमओ स्टाफ ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया। तीसरी बार कार्यभार संभालने के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आने वाले वर्षों में वैश्विक मापदंडों से भी आगे जाकर काम करना है। उन्होंने उन्होंने कहा कि जहां कोई नहीं पहुंचा, वहां अपने देश को हमें पहुंचाना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा शुरू से ही प्रयास रहा है कि PMO सेवा का अधिष्ठान और People’s PMO (जनता का प्रधानमंत्री कार्यालय) बने।

उन्होंने कहा कि सरकार का मतलब सामर्थ्य, समर्पण और संकल्पों की नई ऊर्जा है। हमारी टीम के लिए ना तो समय का बंधन है, ना सोचने की सीमाएं और ना ही पुरुषार्थ के लिए कोई तय मानदंड। इस विजय के बड़े हकदार भारत सरकार के कर्मचारी भी हैं, जिन्होंने एक विजन के लिए खुद को समर्पित कर देने में कोई कमी नहीं रखी।

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