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Daily Voice: इक्विट्री कैपिटल के पवन भराडिया की राय, तेज करेक्शन के बाद अच्छी क्वालिटी के शेयर अच्छे भाव में उपलब्ध

पवन भराडिया ने कहा कि 2025 अच्छे शेयर चुनने वालों का बाजार होगा। 10,000 से 70,000 करोड़ रुपये मार्केट कैप के रेंज वाले शेयरों में लगातार वोलैटिलिटी बनी रहेगी। लिक्विडिटी में बढ़त के कारण इस रेंज के शेयरों का वैल्यूएशन काफी महंगा हो चुका था

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 23, 2025 पर 2:00 PM
Daily Voice: इक्विट्री कैपिटल के पवन भराडिया की राय, तेज करेक्शन के बाद अच्छी क्वालिटी के शेयर अच्छे भाव में उपलब्ध
पवन भराडिया ने कहा कि उनका फोकस 20-25 फीसदी आय संभावना, स्थिर या सुधरते मार्जिन और विवेकपूर्ण पूंजी आवंटन वाली कंपनियों पर रहता है। यह करेक्शन बाजार का एक स्वाभाविक रीसेट है। इससे घबराने की जरूर नहीं है

इक्विट्री कैपिटल (Equitree capital) के को-फाउंडर और सीआईओ पवन पवन भराडिया ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा,"हाल ही में पूंजी बाजार में तीव्र गिरावट के बाद,हम मैन्युफैक्चरिंग और इंजीनियरिंग,इंफ्रास्ट्रक्चर एंसिलरी और एक्सपोर्ट ओरिएंटेड शेयरों पर बुलिश नजरिया रखते हैं।" इक्विट्री में पवन भराडिया और उनकी टीम ने 2024 की दूसरी छमाही से खास तौर पर ऐसे करेक्शनों को ध्यान में रखते हुए नए निवेशकों के लिए कैश रिजर्व बनाया है। उन्होंने कहा,"इससे हमें मोमेंटम का पीछा करने के बजाय विवेकपूर्ण तरीके से पूंजी लगाने में मदद मिलती है।"

प्राइवेट और पब्लिक बाजार में निवेश के क्षेत्र में 25 सालों से अधिक का अनुभव रखने वाले पवन का मानना ​​है कि SIPs (systematic investment planning) अब केवल बचत करने का पारंपरिक विकल्प नहीं रह गए हैं। अब ये भारतीय बाजारों में स्थिरता लाने वाले एक अहम फैक्टर बन रहे है। SIPs को जरिए होने वाले निवेश ग्लोबल पूंजी के प्रवाह की परवाह किए बिना मजबूत घरेलू भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं।

बाजार पर बात करते हुए पवन भराडिया ने आगे कहा कि वे बजार का बॉटम खोजने की कोशिश नहीं करते। अनुभव से पता चलता है कि यह लगभग असंभव भी है। लेकिन बाजार काफी लंबे समय से अपेक्षित सुधार के अंतिंम दौर में नजर आ रहा है। पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो मिड और स्मॉल कैप में अक्सर 8-12 सप्ताह तक करेक्शन का दौर चलता है। अब तक निफ्टी-50 इंडेक्स में 13%, निफ्टी मिडकैप 100 में 18% और निफ्टी स्मॉल कैप 100 में 22% की गिरावट आ चुकी है। ये आमतौर पर दिखने वाले औसत करेक्शन के करीब है।

ग्लोबल चिंताओं (जैसे अमेरिकी टैरिफ) के बावजूद, भारत के घरेलू विकास इंजन जैसे बुनियादी ढांचे पर मजबूत खर्च,मैन्युफैक्चरिंग में तेजी और अर्थव्यवस्था का फॉर्मलाइजेशन, मजबूती दिखा रहे हैं। ये अर्निंग्ल में मजबूती के अनुमान को समर्थन दे रहे हैं।

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