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HDFC Bank का शेयर क्रैश, निवेशकों को गांठ बांध लेने चाहिए ये 4 सबक, नहीं होगा घाटा

HDFC बैंक के शेयर क्रैश हो गए हैं। 2 दिन में करीब 1.44 लाख करोड़ का मार्केट कैप घटा है। आगे भी चुनौतियां कम होती नहीं दिख रही है। हालांकि इस पूरे मामले में निवेशकों के लिए कम से कम 4 चीजें सीखने वाली है, जो उन्हें आगे नुकसान होने से बचाएगा

Moneycontrol Newsअपडेटेड Jan 18, 2024 पर 10:25 PM
HDFC Bank का शेयर क्रैश, निवेशकों को गांठ बांध लेने चाहिए ये 4 सबक, नहीं होगा घाटा
HDFC Bank के स्टॉक को किसी भी एनालिस्ट्स ने सेल रेटिंग नहीं दी है

HDFC Bank Shares: एचडीएफसी बैंक के शेयर क्रैश हो गए हैं। लगातार दूसरे दिन आज उसके शेयर में गिरावट आई। इस दौरान बैंक का मार्केट कैप अब तक 1.44 लाख करोड़ रुपये घट चुका है। पिछले 3 सालों में पहली बार HDFC बैंक के शेयरों ने इतना बड़ा गोता लगाया। बुधवार को तो एक दिन में इसका शेयर साढ़े 8.5 पर्सेंट गिर गया, जिससे इसका मार्केट कैप 1.1 लाख करोड़ रुपये कम हो गया। आज भी HDFC बैंक का शेयर 3 फीसदी गिरा है। इसके चलते पिछले 2 दिनों से शेयर बाजार में भी निवेशकों को काफी घाटा हुआ है। बैंक निफ्टी में करीब आधी गिरावट, इसी HDFC के स्टॉक के चलते आई है। इसकी चुनौतियां अभी भी खत्म होती नहीं दिख रही है, अमेरिका शेयर बाजार में सूचीबद्ध इसका एडीआर 7.5 और गिर गया है, जो स्टॉक में और गिरावट की आशंका जताता है। हालांकि इस पूरे मामले में निवेशकों के लिए कम से कम 4 चीजें सीखने वाली है

1. खराब नतीजे

एचडीएफसी बैंक के हालिया आंकड़ों पर बाजार का सरप्राइज होना बनता है। HDFC बैंक को कभी 30 फीसदी के टिकाऊ ग्रोथ के लिए जाना जाता है और यह मार्केट के पसंदीदा शयेरों में एक था। एक दशक पहले तक, यह दुनिया का सबसे महंगे बैंकों में से एक था, जो अपनी बुक वैल्यू के करीब 4.5 गुना पर कारोबार करता था। हालांकि आज इसकी गिनती मार्केट कैप के हिसाब से दुनिया के 70वें सबसे बड़े बैंक के रूप में होती और यह अपने पीक वैल्यूएशन के करीब आधे भाव पर कारोबार कर रहा है।

ऐसा लगता है कि बैंक के सुनहरे दिन अब बीती बात हो चुकी है। पिछले 2 सालों में इका शेयर मात्र 1 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि इस दौरान सेंसेक्स ने 17 प्रतिशत की छलांग लगाई है। स्टॉक के खराब प्रदर्शन ने कई म्यूचुअल फंड स्कीमों के प्रदर्शन को भी खराब कर दिया है। हालांकि इस खराब प्रदर्शन के बावजूद HDFC Bank के शेयर को अधिकतर ब्रोकरेज फर्मों ने कवर करना जारी रखा। ताजा गिरावट की सबसे बड़ी वजह इसके दिसबंर तिमाही के नतीजे हैं और इन नतीजों ने ब्रोकरेज फर्मों की ओर से लगाए गए अनुमानों को कंपनी मैनेजमेंट की जिम्मेदारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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