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हिंडाल्को के मैनेजमेंट ने बताया नोवेलिस का कैपेक्स प्लान क्यों रहा उम्मीद से ज्यादा, क्या है आगे की योजना

नोवेलिस की क्षमता विस्तार पर 12000 से 15000 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आएगा। कैपेक्स खर्च अनुमान में बढ़ोतरी क्यों की गई है

MoneyControl Newsअपडेटेड Feb 14, 2024 पर 11:07 AM
हिंडाल्को के मैनेजमेंट ने बताया नोवेलिस का कैपेक्स प्लान क्यों रहा उम्मीद से ज्यादा, क्या है आगे की योजना
सतीश पई ने कहा कि एल्युमनियम कीमतें सप्लाई और डिमांड पर निर्भर हैं। US में एल्युमिनियम डिमांड काफी मजबूत हैं। यूरोप की इकोनॉमी में सुस्ती है

नतीजों पर हिंडाल्को मैनेजमेंट का कहना है कि एल्युमिनियम इंडिया में 880 डॉलर प्रति टन का EBITDA है। इस तिमाही में इनपुट कॉस्ट में कमी आई है। दूसरी तिमाही के मुकाबले तीसरी तिमाही में इनपुट कॉस्ट 3.2 फीसदी कम रहा है। चौथी तिमाही में भी मार्जिन बरकरार रखने की कोशिश है। चौथी तिमाही में एल्युमीनियम इंडिया से फ्लैट मार्जिन संभव है

हिंडाल्को कल दो वजहों से फोकस में था, पहला कंपनी की सब्सिडियरी नोवेलिस के उम्मीद से ज्यादा कैपेक्स प्लान से बाजार निराश था, जिसकी वजह से शेयर 13-14 फीसदी टूट गया। दूसरी तरफ कल ही कंपनी के तिमाही नतीजे भी आए। इस अवधि में कंपनी का स्टैंडअलोन मुनाफा 68 फीसदी बढ़ा है जबकि आय में 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। साथ ही, EBITDA और मार्जिन में भी अच्छी ग्रोथ हुई है। नोवेलिस के कैपेक्स और नतीजे पर खास चर्चा के लिए सीएनबीसी-आवाज़ के साथ हैं हिंडाल्को के मैनेजिंग डायरेक्टर सतीश पई।

आइए पहले कंपनी के नतीजों पर डाल लेते हैं एक नजर। 31 दिसंबर 2023 को खत्म हुई तिमाही में कंपनी का मुनाफा सालाना आधार पर 498 करोड़ रुपए से बढ़कर 838 करोड़ रुपए पर रहा है। वहीं, आय 18,983 करोड़ रुपए से बढ़कर 20,289 करोड़ रुपए पर रही है। EBITDA 1343 करोड़ से बढ़कर 1963 करोड़ रुपए पर और EBITDA मार्जिन 7.1 फीसदी से बढ़कर 9.7 फीसदी पर रही है।

नोवेलिस की क्षमता विस्तार पर 12000 से 15000 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आएगा। कैपेक्स खर्च अनुमान में बढ़ोतरी क्यों की गई है? इस सवाल के जवाब में सतीश पई ने कहा कि नोवेलिस दुनिया की सबसे बड़ी रोलिंग कंपनी है। अमेरिका में पूरी क्षमता का इस्तेमाल हो रहा है। कैन का डिमांड सालाना 3-4 फीसदी बढ़ रहा है। नॉर्थ अमेरिका में क्षमता बढ़ाने के लिए प्रोजेक्ट जरूरी है। Bay Minette प्लांट की लागत सिविल कॉस्ट के चलते बढ़ी है। सिविल कॉस्ट के चलते प्रोजेक्ट की लागत 80 फीसदी बढ़ी है। वित्तीय तौर पर प्रोजेक्ट अभी भी व्यावहारिक है।

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