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India Europe Free Trade Agreement: अल्कोहल इंडस्ट्री पर क्यों अटकी हुई है सबकी नजर?

ये बैठक अगले करीब 5 दिन तक चलेगी। इस बैठक को लेकर सबसे ज्यादा नजर जहां टिकी हुई है, वह है एल्कोहल इंडस्ट्री। भारत में यूरोप की व्हिस्की काफी अच्छी मानी जाती है। यूरोप की व्हिस्की जब भारत आती है तो उस पर 150 फीसदी ड्यूटी लगाई जाती है। यूरोप चाहता है कि इस इपोर्ट ड्यूटी को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 23, 2024 पर 3:16 PM
India Europe Free Trade Agreement: अल्कोहल इंडस्ट्री पर क्यों अटकी हुई है सबकी नजर?
टेक्सटाइल, गारमेंट और यूरोप को होने वाले सर्विस एक्सपोर्ट पर भारत छूट चाहता है। वहीं, यूरोप चाहता है कि भारत केमिकल और यूरोप जैसी चीजों पर छूट दे

आज एक बड़ी खबर ये आई है। भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच आज नवें दौर के फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत शुरू हो गई है। इस बैठक में एल्कोहल पर लगने वाली ड्यूटी अगले 10 सालों में 150 फीसदी से घटा कर 50 करने पर भारत की तरफ से सहमति मिल सकती है। इस पर ज्यादा डिटेल देते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के लक्ष्मण राय ने कहा कि ये बैठक भारत और यूरोप के बीच फ्री ट्रेड के मुद्दे पर आधारित है। इस लक्ष्य ये है कि भारत जो चीजें यूरोप भेजता है उन पर बहुत ज्यादा ड्यूटी न लगे और यूरोप जो चीजें भारत भेजता है उनपर बहुत ज्यादा ड्यूटी न लगे।

यहा नवीं दौर की अधिकारी स्तर की बैठक है आज से ये बैठक शुरू हो गई है। ये बैठक अगले करीब 5 दिन तक चलेगी। इस बैठक को लेकर सबसे ज्यादा नजर जहां टिकी हुई है, वह है एल्कोहल इंडस्ट्री। भारत में यूरोप की व्हिस्की काफी अच्छी मानी जाती है। यूरोप की व्हिस्की जब भारत आती है तो उस पर 150 फीसदी ड्यूटी लगाई जाती है। यूरोप चाहता है कि इस इपोर्ट ड्यूटी को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए। लेकिन सूत्रों के मुताबित भारत इसके लिए एक विकल्प ये दे सकता है कि इस ड्यूटी को 150 फीसदी से घटा कर 50 फीसदी पर लाया जाए। ये कटौती सलान आधार पर 10 फीसदी के दर पर 10 साल में की जानी चाहिए।

इसके बदले में भारत ये चाहता है कि भारत से जो भी एल्कोहल यूरोप जाता है यूरोप वहां पर अपनी शर्तों में ढ़ील दे। भारत की मांग है कि भारतीय व्हिस्की पर समय सीमा (मैच्योरिटी पीरियड) घटाई जाए। यूरोप का कहना है कि भारत से आने वाली जो भी व्हिस्की है वो 3 साल से ज्यादा पुरानी होगी तभी उनको व्हिस्की का दर्जा मिलेगा। 1 साल से ज्यादा पुरानी होने पर ही ब्रांडी का दर्जा मिलेगा। भारत का कहना है कि हमारे यहां की व्हिस्की औऱ ब्रैंडी बहुत जल्दी मैच्योर हो जाती है,क्योंकि यहां तापमान ज्यादा होता है। ऐसे में यूरोप ने ये जो समय सीमा बांध रखी है उसमें छूट मिलना चाहिए। ऐसा होने पर भारतीय कंपनियों की लागत में 30-35 फीसदी की कमी आएगी।

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