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Co-Location Capacities: BSE और NSE में रैक बढ़ाने की होड़, बढ़ती डिमांड बनी वजह; कितना लेते हैं चार्ज

उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि BSE को-लोकेशन रैक को एकोमोडेट करने के लिए अधिक रियल एस्टेट की तलाश कर रहा है। को-लोकेशन सर्विसेज को आगे बढ़ाने के लिए, NSE ने अपने ऑफिस को मुंबई में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के अंदर एक नए स्थान पर शिफ्ट कर दिया है

Edited By: Moneycontrol Hindi Newsअपडेटेड May 30, 2025 पर 6:31 PM
Co-Location Capacities: BSE और NSE में रैक बढ़ाने की होड़, बढ़ती डिमांड बनी वजह; कितना लेते हैं चार्ज
NSE ने रैक के लिए अपने चार्ज में कमी की है और नए चार्ज इस साल 1 अप्रैल से लागू हैं।

NSE और BSE, ब्रोकर्स के सर्वर्स के लिए अपने यहां उपलब्ध रैक की संख्या बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। ऐसा को-लोकेशन क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से मार्केट पार्टिसिपेंट्स की ओर से मांग लगातार बढ़ रही है। को-लोकेशन, एक्सचेंज ट्रेडिंग सिस्टम तक तेज एक्सेस की पेशकश करती है। को-लोकेशन सुविधा के तहत स्टॉकब्रोकर एक तय फीस का पेमेंट करके स्टॉक एक्सचेंज में अपना सर्वर रख सकते हैं। इससे उन्हें उन अन्य पार्टिसिपेंट्स से कुछ सेकंड पहले प्राइस डेटा तक एक्सेस मिलती है, जो रैक के नजदीक नहीं होते हैं। इसी सुविधा के लिए ब्रोकर्स को उनके सर्वर्स इंस्टॉल करने के लिए रैक एलोकेट की जाती हैं।

अगर मांग बनी रहती है तो को-लोकेशन सुविधा से एक्सचेंजों के लिए रेवेन्यू जनरेट होने की उम्मीद है। हालांकि एक्सचेंज इसे रेवेन्यू के सोर्स से ज्यादा एक प्रोडक्ट की पेशकश के रूप में देखते हैं। लेटेस्ट डेटा के अनुसार, NSE के पास लगभग 1,300 फुल रैक्स की को-लोकेशन कैपेसिटी है। एक्सचेंज का इरादा जून के अंत तक 300 अतिरिक्त रैक जोड़ने का है। अगले दो साल में NSE चरणबद्ध तरीके से 2,000 और रैक जोड़ने की योजना बना रहा है।

NSE ऑफिस, बीकेसी के अंदर नए स्थान पर शिफ्ट

अपनी को-लोकेशन सर्विसेज को आगे बढ़ाने के लिए, NSE ने अपने ऑफिस को मुंबई में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) के अंदर एक नए स्थान पर शिफ्ट कर दिया है। वहीं बीकेसी में स्थित ऐतिहासिक एक्सचेंज प्लाजा ऑफिस को अब अधिक रैक को एकोमोडेट करने के लिए डेटा सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। एनालिस्ट कॉल के दौरान NSE के CFO इयान देवूजा ने कहा था कि अगर सभी 2,000 रैक बनाई जाती हैं, तो अनुमान है कि लागत लगभग 520-550 करोड़ रुपये होगी। लेकिन यह एक चरणबद्ध अवधि में होगा।

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