NSE और BSE, ब्रोकर्स के सर्वर्स के लिए अपने यहां उपलब्ध रैक की संख्या बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। ऐसा को-लोकेशन क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से मार्केट पार्टिसिपेंट्स की ओर से मांग लगातार बढ़ रही है। को-लोकेशन, एक्सचेंज ट्रेडिंग सिस्टम तक तेज एक्सेस की पेशकश करती है। को-लोकेशन सुविधा के तहत स्टॉकब्रोकर एक तय फीस का पेमेंट करके स्टॉक एक्सचेंज में अपना सर्वर रख सकते हैं। इससे उन्हें उन अन्य पार्टिसिपेंट्स से कुछ सेकंड पहले प्राइस डेटा तक एक्सेस मिलती है, जो रैक के नजदीक नहीं होते हैं। इसी सुविधा के लिए ब्रोकर्स को उनके सर्वर्स इंस्टॉल करने के लिए रैक एलोकेट की जाती हैं।