कहा जाता है कि शेयरों का रिटर्न लंबी अवधि में दूसरे एसेट्स के मुकाबले ज्यादा होता है। लेकिन, हममें से कई लोग एक बड़ा सवाल पूछना भूल जाते हैं। यह सवाल है-पिछले सालों में शेयरों का जैसा रिटर्न रहा है क्या भविष्य में भी वैसा ही रहेगा?

कहा जाता है कि शेयरों का रिटर्न लंबी अवधि में दूसरे एसेट्स के मुकाबले ज्यादा होता है। लेकिन, हममें से कई लोग एक बड़ा सवाल पूछना भूल जाते हैं। यह सवाल है-पिछले सालों में शेयरों का जैसा रिटर्न रहा है क्या भविष्य में भी वैसा ही रहेगा?
इस सवाल का जवाब बहुत इंटरेस्टिंग है। इसकी वजह यह है कि यह जवाब आपको एक बेहतर इनवेस्टर बनने में मदद करेगा। फिर आप लंबी अवधि में शेयरों में निवेश से अच्छी संपत्ति बना सकेंगे। जब हम शेयर बाजार की बात करते हैं तो हम ऐसे बाजार की बात करते हैं, जिसमें छोटे-बड़े हर तरह के स्टॉक शामिल होते हैं।
ऊपर के सवाल का जवाब इन 7 चीजों में शामिल हैं:
Inflation
जब कीमतें बढ़ रही होती हैं तब कंपनियों का प्रॉफिट और रेवेन्यू अच्छा रहता है। प्रॉफिट और रेवेन्यू बढ़ने पर कंपनी के शेयरों की कीमतें भी बढ़ती हैं। शेयरों की कीमतों में उछाल से इनफ्लेशन की वजह से करेंसी की वैल्यू में आई गिरावट की भरपाई हो जाती है।
Population Growth
आबादी बढ़ने के साथ कंपनियों के लिए अपने प्रोडक्ट्स के लिए बाजार भी बढ़ता है। जो कंपनियां आबादी के बड़े हिस्से के लिए प्रोडक्ट्स बनाती हैं, उनकी वैल्यूएशन समय के साथ बढ़ती रहती है।
Technology
आबादी बढ़ने के साथ ही मेधावी और इनवेंशन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती है। इनोवेशन और टेक्नोलॉजी हमारी तरक्की की रफ्तार तेज कर देती है। इसका फायदा उन कंपनियों को मिलता है, जो इस मौके का फायदा उठाने के लिए तैयार होती हैं।
Natural Selection
स्टॉक मार्केट के इंडेक्स में सबसे अच्छी कंपनियां शामिल होती हैं। अगर एक कंपनी बेहतर प्रदर्शन करने में नाकाम रहती है तो उसकी जगह दूसरी कंपनी ले लेती है। इस तरह इनवेस्टर्स के सामने निवेश के लिए अच्छी कंपनियों का विकल्प मौजूद रहता है।
Risk pays in long term
छोटी अवधि में रिस्क लेने से आपको लॉस हो सकता है। लेकिन, लंबी अवधि में रिस्क का फायदा ज्यादा रिटर्न के रूप में मिलता है। रिस्क के बदले आपको प्रीमियम मिलता है, जिसे रिस्क प्रीमियम कहा जाता है। जब आप शेयर बाजार में यह रिस्क लेते हैं तो आपको इसका इनाम ज्यादा रिटर्न के रूप में मिलता है।
RBI Policy
जब महंगाई तेजी से बढ़ती है तो RBI इंटरेस्ट रेट बढ़ाता है। इससे लोग कम खर्च करते हैं। दूसरी तरह जब इकोनॉमी लड़खड़ा रही होती है और लोग खर्च नहीं करते हैं तो केंद्रीय बैंक आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए इंटरेस्ट रेट घटाता है। इससे सेविंग्स अकाउंट में रखे आपके पैसे पर मिलने वाला इंटरेस्ट घट जाता है। फिर, लोग शेयरों जैसे रिस्की एसेट्स में पैसे लगाते हैं।
Markets Bounce back after downturn
शेयर बाजार में बिकवाली और गिरावट जैसी चीजें हमेशा जारी नहीं रहती हैं। इसकी कई वजहे हैं। सरकार हालात बेहतर करने के लिए कई कदम उठाती हैं। जब-जब मार्केट में बड़ी समस्या आती है सरकार और RBI मिलकर कोशिश करते हैं। फिर, हालात बदलने लगते हैं। कंपनियों का प्रदर्शन सुधरने लगता है। इससे शेयरों की कीमतें चढ़ने लगती हैं।
आप स्टॉक मार्केट के रिटर्न का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि इंडियन इक्विटी मार्केट ने शुरुआत से अब तक सालाना करीब 16 फीसदी का कंपाउंडेड एवरेज रिटर्न दिया है। सेंसेक्स का पिछले 33 साल का डेटा बताता है कि शेयर बाजार में आप जब भी इनवेस्ट करें आपको 15 फीसदी रिटर्न मिलने की संभावना हमेशा रहती है।
एक साल से दो साल की अवधि में आपके सालाना 15 फीसदी या ज्यादा रिटर्न हासिल करने की संभावना सिर्फ 50 फीसदी रहती है। सात साल के लिए निवेश करने पर यह संभावना बढ़कर 66 फीसदी हो जाती है। 15 साल की अवधि में यह बढ़कर 70 फीसदी हो जाती है।
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