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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब छह सालों के एसेसमेंट प्रोसेस के लिए टैक्सपेयर्स को सिंगल नोटिस भेजेगा, जानिए CBDT के इस कदम का क्या है मतलब

सरकार ने टैक्सपेयर्स के एसेसमेंट के मामलों के जल्द निपटारे के लिए बड़ा कदम उठाया है। इसके लिए इनकम टैक्स एक्ट में संसोधन का प्रस्ताव है। इससे अलग-अलग साल के एसेसमेंट के लिए अलग-अलग नोटिस भेजने की जगह छह सालों के एसेटमेंट का सिंगल नोटिस टैक्सपेयर्स को भेजा जाएगा

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 26, 2024 पर 11:28 AM
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब छह सालों के एसेसमेंट प्रोसेस के लिए टैक्सपेयर्स को सिंगल नोटिस भेजेगा, जानिए CBDT के इस कदम का क्या है मतलब
अभी हर एसेसमेंट ईयर के लिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग नोटिस भेजे जाते हैं। इससे प्रोसिडिंग्स में 10 साल तक लग जाते हैं।

सरकार ने एसेसमेंट प्रोसेस को तेज करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। फाइनेंस बिल में ऐसे मामलों के एसेसमेंट प्रोसेस के कंसॉलिडेशन के लिए इनकम टैक्स एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव है जो कई सालों से चल रहे हैं। इससे टैक्सपेयर्स को आसानी होगी और वर्कफ्लो की रफ्तार तेज होगी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने मनीकंट्रोल को इंटरव्यू में इस बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में ऐसेसी को राहत देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं जिनमें सर्चेज के बाद टैक्स चोरी की जांच की जाती है। अब ऐसे मामलों के छह साल के एसेसमेंट को क्लब कर दिया जाएगा। उसके बाद उनका निपटारा 12 महीनों में करना होगा। उसके बाद एसेसी को सिंगल डिमांड नोटिस भेजा जाएगा।

अभी हर एसेसमेंट ईयर के लिए अलग-अलग नोटिस

अभी हर एसेसमेंट ईयर के लिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग नोटिस भेजे जाते हैं। इससे प्रोसिडिंग्स में 10 साल तक लग जाते हैं। अग्रवाल ने कहा, "शुरुआत में सर्च के मामलों में टैक्स एसेसमेंट को 10 साल तक के लिए ओपन किया जा सकता था। इससे अलग-अलग सालों में कई नोटिस भेजने पड़ते थे। हर नोटिस में अलग टाइम-बारिंग (time-barring) तारीख होती थी। इससे प्रोसिडिंग्स बढ़ जाती थी, जिससे टैक्सपेयर्स और टैक्स ऑफिसर्स दोनों को मुश्किल का सामना करना पड़ता था।" पहले के सिस्टम में अगर नोटिस किसी एक साल में भेजा जाता था तो उसका असर अगले साल भी देखने को मिलता था। फाइनल टाइम-बारिंग तारीख कई सालों तक चलती थी।

मामलों के समाधान में कम समय लगेगा

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