मुंबई के केईएम हॉस्पिटल की रिटायर्ड डॉक्टर लोपा मेहता की लिविंग विल काफी चर्चा में है। उन्होंने इसमें लिखा है कि उन्हें आईसीयू में भर्ती नहीं कराया जाना चाहिए। मैकेनिकल वेंटिलेशन पर नहीं रखा जाना चाहिए। जबर्दस्ती जीवित बनाए रखने वाले तरीकों का इस्तेमाल उनके लिए नहीं किया जाना चाहिए। सवाल यह है कि क्या हमें यह तय करने का अधिकार है कि हम अपनी सांस किस तरह की स्थितियों में लें?