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Gita Jayanti 2025 Date: मार्गशीर्ष माह में ही मनाई जाती है गीता जयंती, जानिए तारीख, पूजा विधि और महत्व

Gita Jayanti 2025 Date: मार्गशीर्ष माह को भगवान श्री कृष्ण का प्रिय माह माना जाता है। इसी माह में गीता जयंति मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल गीता जयंति किस दिन मनाई जाएगी और इसकी पूजा विधि के बारे में जानिए

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 20, 2025 पर 9:27 PM
Gita Jayanti 2025 Date: मार्गशीर्ष माह में ही मनाई जाती है गीता जयंती, जानिए तारीख, पूजा विधि और महत्व
माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Gita Jayanti 2025 Date: गीता जयंति हर साल मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इसी दिन मोक्षदा एकादशी का व्रत भी किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने पांडु पुत्र अर्जुन को जब गीत का उपदेश दिया था, उस दिन मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि थी। यही वजह है कि भगवान कृष्ण को ये माह बहुत प्रिय है और इसे पूरे साल का सबसे उत्तम महीना भी कहा जाता है। आइएज जानें इस साल गीता जयंति किस दिन मनाई जाएगी, इस दिन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

गीता जयंती तारीख

पचांग के अनुसार, गीता जयंती मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 नवंबर रविवार को रात 9:29 बजे शुरू होगी। इस तिथि का समापन 1 दिसंबर सोमवार को शाम 7:01 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार, गीता जयंती 1 दिसंबर दिन सोमवार को मनाई जाएगी।

गीता जयंती मुहूर्त

गीता जयंती के अवसर पर अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:31 बजे तक है, उस दिन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05:08 बजे से सुबह 06:02 बजे तक है। गीता जयंती पर व्यतीपात योग और रेवती नक्षत्र का योग भी बन रहा है। उस दिन रेवती नक्षत्र सुबह से लेकर रात 11:18 बजे तक है, वहीं व्यतीपात योग सुबह से देर रात 12:59 बजे तक है।

गीता जयंति का महत्व

द्वापर युग में महाभारत का युद्ध शुरू होने वाला था, तब कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन का मन विचलित हो रहा था कि अपने सगे-संबंधियों पर कैसे शस्त्र उठाएंगे? सामने उनके पितामह, भाई लोगों पर वार कैसे करेंगे? उन्होंने अपने अस्त्र-शस्त्र त्याग कर बैठ गए थे। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उनको अपने विराट स्वरूप के दर्शन दिए और गीता का ज्ञान दिया। उस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी थी, इस वजह से इस तिथि को हर साल गीता जयंती मनाई जाती है।

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