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Raksha Bandhan 2025: सुबह 5 बजे से लग रहा शुभ मुहूर्त, जानिए कब तक बांध सकेंगे राखी

Raksha Bandhan 2025: भगवान शिव का प्रिय माह सावन अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है। इस माह में कई त्योहार और व्रत आते हैं, जिनमें सावन की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार भी है। आइए जानें इस दिन राखी बांधने के लिए कितना समय मिलेगा।

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 31, 2025 पर 7:49 PM
Raksha Bandhan 2025: सुबह 5 बजे से लग रहा शुभ मुहूर्त, जानिए कब तक बांध सकेंगे राखी

भगवान शिव का प्रिय माह सावन अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है। इस माह में कई त्योहार और व्रत आते हैं, जिनमें सावन की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार भी है। रक्षाबंधन का त्योहार आने में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं। ये भाई-बहन का त्योहार है और इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध कर उनकी अच्छी सेहत, खुशहाली और लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसी तरह भाई अपनी बहनों को सारी उम्र रक्षा करने का वचन देते हैं। इस बार ये त्योहार 9 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा। हालांकि पंचांग के मुताबिक इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ने की वजह से रक्षाबंधन मनाने को लेकर लोग असमंजस में हैं। इसके अलावा इस दिन भद्रा का साया भी बताया जा रहा है। ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि ये त्योहार किस दिन मनाया जाएगा और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त कितनी देर तक रहेगा।

इस दिन मनाएं रक्षाबंधन

सावन मास की पूर्णिमा तिथि इस साल शुक्रवार, 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2.12 बजे से लग रही है, जो अगले दिन शनिवार, 9 अगस्त 2025 को दोपहर 1.24 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि 9 अगस्त को मिलने के कारण रक्षाबंधन का त्योहार इसी दिन मनाया जाएगा।

भद्राकाल कब तक

इस बार भद्रा काल शुक्रवार 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2.12 बजे से लेकर शनिवार 9 अगस्त 2025 की रात 1.52 बजे तक है। इसका मतलब है कि 9 अगस्त की सुबह राखी बांधने के समय के आसपास भी भद्रा काल नहीं है। राखी बांधने का सबसे अच्छा समय सुबह 5.35 बजे से लेकर दोपहर 1.24 बजे तक रहेगा। इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4.22 बजे से 5.04 बजे तक रहेगा। जबकि अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.17 बजे से 12.53 बजे तक रहेगा।

रक्षाबंधन के साथ जुड़ी हैं कई धार्मिक मान्यताएं

इस त्योहार के साथ कई सारी धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हैं। माना जाता है कि अनादि काल में मां लक्ष्मी ने दानवराज बलि को राखी बांधी थी। इसके बाद द्वापर युग में द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को राखी बांधी थी। मां लक्ष्मी राजा बलि को राखी बांध कर श्रीहरि विष्णु को पाताल लोक से वैकुंठ वापस ले आई थीं।

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