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भारत में तैयार हो रहा पहला ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन, ‘रामा’ टेक्नोलॉजी से होगा लैस, 2025 तक सेना में हो सकता है शामिल

‘रामा’ Radar Absorption and Multispectral Adaptation एक स्वदेशी रूप से विकसित नैनो टेक्नोलॉजी आधारित कोटिंग है। यह कोटिंग ही कोई भी रडार या इंफ्रारेड में ड्रोन की विजिबिलिटी यानी पकड़े जाने का चांस कम कर देता है। मतलब यह नैनो टेक्नोलॉजी दुश्मन के रडार को लगभग 97% तक धोखा दे सकता है।

Edited By: Ashwani Kumar Srivastavaअपडेटेड Jul 20, 2025 पर 8:53 AM
भारत में तैयार हो रहा पहला ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन, ‘रामा’ टेक्नोलॉजी से होगा लैस, 2025 तक सेना में हो सकता है शामिल
'रामा' टेक्नोलॉजी से लैस भारत में तैयार हो रहा पहला ड्यूल स्टेल्थ ड्रोन

RAMA technology India : ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने अपनी एयर डिफेंस क्षमता का प्रभावशाली प्रदर्शन कर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। अब भारत एक और बड़ी उलब्धि की ओर बढ़ रहा है। पहली बार भारत में ऐसा स्टेल्थ ड्रोन विकसित किया जा रहा है, जो दुश्मन के रडार और इंफ्रारेड सिस्टम दोनों को चकमा देने में सक्षम होगा। इस अत्याधुनिक तकनीक को ‘रामा’ नाम दिया गया है, जो इस ड्रोन की सबसे अहम और खास विशेषता मानी जा रही है।

क्या है 'रामा'?

‘रामा’ Radar Absorption and Multispectral Adaptation एक स्वदेशी रूप से विकसित नैनो टेक्नोलॉजी आधारित कोटिंग है। यह कोटिंग ही कोई भी रडार या इंफ्रारेड में ड्रोन की विजिबिलिटी यानी पकड़े जाने का चांस कम कर देता है। मतलब यह नैनो टेक्नोलॉजी दुश्मन के रडार और इंफ्रारेड सेंसर को लगभग 97% तक धोखा दे सकता है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस कोटिंग को कार्बन बेस्ड पदार्थ से बनाया जाता है क्योंकि यह रडार सिग्नल को अवशोषित कर उसे उष्मा में बदल देती है और साथ ही ड्रोन की तापीय पहचान को भी काफी हद तक कम कर देती है। इस टेक्नोलॉजी को हैदराबाद की कंपनी वीरा डायनामिक्स द्वारा रक्षा मंत्रालय के सहयोग से डेवलप किया गया है। फिलहाल, केवल अमेरिका, चीन और रूस के पास ही रडार से छिपने वाले स्टेल्थ ड्रोन हैं।

इस स्टेल्थ ड्रोन का वजन करीब 100 किलोग्राम है और यह 50 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के अंत तक RAMA युक्त ड्रोन नौसेना को सौंपा जा सकता है।

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