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Budget 2025 Expectations: क्या निर्मला सीतारमण इस बार भी कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बदलाव करेंगी? जानिए अभी क्या हैं नियम

Budget 2025 Expectations: अगर आप शेयर, म्यूचुअल फंड्स या रियल एस्टेट में निवेश करते हैं तो आपके लिए कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों को ठीक तरह से समझ लेना जरूरी है। इसकी वजह यह है कि कैपिटल गेंस टैक्स का सीधा असर किसी एसेट से आपके रिटर्न पर पड़ता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 30, 2025 पर 1:44 PM
Budget 2025 Expectations: क्या निर्मला सीतारमण इस बार भी कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में बदलाव करेंगी? जानिए अभी क्या हैं नियम
एसेट के हिसाब से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस का पीरियड बदल जाता है।

Budget 2025: इनकम टैक्सपेयर्स की नजरें 1 फरवरी को यूनियन बजट 2025 पर लगी हैं। ज्यादातर टैक्सपेयर्स के मन में यह सवाल चल रहा है कि क्या वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों में भी बदलाव करेंगी? जिस तरह से शेयरों और म्यूचुअल फंड्स की इक्विटी स्कीमों में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है, उसे देखते हुए कैपिटल गेंस टैक्स के नियमों को ठीक तरह से समझना जरूरी है। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि आपको अपने शेयर या इक्विटी म्यूचुअल की यूनिट्स कब बेचने में सबसे ज्यादा फायदा है।

कैपिटल गेंस टैक्स का मतलब क्या है?

पहले यह समझ लेना जरूरी है कि कैपिटल गेंस टैक्स (Capital Gains Tax) क्या है। जब कभी आप कोई प्रॉपर्टी, शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स बेचते हैं तो आपको प्रॉफिट या लॉस होता है। ज्यादातर बार आपको प्रॉफिट होता है। सरकार इस प्रॉफिट का एक हिस्सा आपसे ले लेती है। इस प्रॉफिट पर वह जो टैक्स लगाती है, उसे कैपिटल गेंस टैक्स कहा जाता है। कैपिटल गेंस टैक्स दो तरह का होता है-शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस। किसी एसेट पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगेगा या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस लगेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने उस एसेट को खरीदने के कितने समय बाद बेचा है।

शॉर्ट कैपिटल गेंस टैक्स के नियम क्या हैं?

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