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Budget 2025: विनिवेश पर कितना होगा फोकस, क्या सरकार डिसइनवेस्टमेंट टारगेट का ऐलान करेगी?

सरकार को अपनी कंपनियों से काफी ज्यादा डिविडेंड मिला है। इसकी बड़ी वजह यह है कि सरकारी कंपनियों का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। इससे उनका मुनाफा बढ़ा है। अगर सरकारी कंपनियों का मुनाफा बढ़ता है तो इससे सरकार को भी डिविडेंड के रूप में ज्यादा पैसे मिलते हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Jan 06, 2025 पर 2:35 PM
Budget 2025: विनिवेश पर कितना होगा फोकस, क्या सरकार डिसइनवेस्टमेंट टारगेट का ऐलान करेगी?
पिछले पांच साल में सरकार को विनिवेश से करीब 1.06 लाख करोड़ रुपये मिले हैं, जबकि सरकारी कंपनियों से टैक्स-फ्री डिविडेंड 2.7 लाख करोड़ रुपये रहा है।

डिसइनवेस्टमेंट सरकार की फिस्कल प्लानिंग का अहम हिस्सा रहा है। पिछले कुछ सालों में सरकार यूनियन बजट में डिसइनवेस्टमेंट का टारगेट तय करती आ रही है। सरकार बताती है कि नए वित्त वर्ष में वह सरकारी कपनियों में हिस्सेदारी बेचकर कितने पैसे जुटाएगी। सरकार यह भी बताती है कि वह किन सरकारी कंपनियों में विनिवेश अगले वित्त वर्ष में करेगी। हालांकि, पिछले एक-दो सालों में इस ट्रेंड में कमी आई है। सवाल है कि क्या सरकार 1 फरवरी, 2025 को पेश होने वाले यूनियन बजट में डिसइनवेस्टमेंट का टारगेट तय करेगी?

इस वित्त वर्ष के बजट में नहीं था डिसइनवेस्टमेंट का टारगेट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस वित्त वर्ष के लिए पेश बजट में 'डिसइनवेस्टमेंट' (Disinvestment) शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था। इसकी जगह सरकार ने बताया था कि 'मिसलेनियस कैपिटल रिसीट' से सरकार को 50,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल हो सकता है। सरकार की फिस्कल प्लानिंग की जानकारी रखने वाले लोगों का मानना है कि इससे पता चलता है कि सरकार रेवेन्यू के स्रोत के लिहाज से डिसइनवेस्टमेंट पर फोकस घटा रही है। पिछले वित्त वर्ष के विनिवेश के टारगेट में कई बार संशोधन किया था। आखिर में सरकार तय लक्ष्य से काफी कम पैसा डिसइनवेस्टमेंट से जुटा सकी थी।

सरकार की डिविडेंड से हो रही मोटी कमाई

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