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J&K News: जम्मू-कश्मीर के 3 सरकारी कर्मचारी बर्खास्त, लश्कर और हिजबुल के लिए करते थे काम

Jammu and Kashmir News: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार (3 जून) को पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (HM) से जुड़े होने के आरोप में तीनों सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल मलिक इश्फाक नसीर, स्कूल शिक्षा विभाग में टीचर एजाज अहमद और श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट वसीम अहमद खान को आतंकियों के सक्रिय सहयोगी के रूप में पाया गया गया है

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Jun 03, 2025 पर 12:54 PM
J&K News: जम्मू-कश्मीर के 3 सरकारी कर्मचारी बर्खास्त, लश्कर और हिजबुल के लिए करते थे काम
Jammu and Kashmir News: तीनों सरकारी कर्मचारी आतंकी समूहों की मदद करने वाले सक्रिय कार्यकर्ता थे

Jammu and Kashmir News: सरकारी तंत्र में मौजूद आतंक के समर्थकों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकियों से संबंध रखने के आरोप में तीन सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार (3 जून) को पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (HM) से जुड़े होने के आरोप में तीनों सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल मलिक इश्फाक नसीर, स्कूल शिक्षा विभाग में टीचर एजाज अहमद और श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट वसीम अहमद खान को आतंकियों के लिए सक्रिय सहयोगी के रूप में काम करते पाया गया गया है।

तीनों हथियारों की तस्करी, सुरक्षा बलों पर हमले और आतंकियों को रसद सहायता प्रदान करने में मदद करते थे। तीनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, बर्खास्त किए गए कर्मचारी न केवल समर्थक थे। बल्कि केंद्र शासित प्रदेश में नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों के खिलाफ हमलों को अंजाम देने में आतंकी समूहों की मदद करने वाले सक्रिय कार्यकर्ता भी थे।

एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने न्यूज 18 से कहा, "सरकारी संस्थानों, खासकर पुलिस बल में मुखबिरों और आतंकी सहयोगियों का होना बेहद खतरनाक है। उनकी मौजूदगी राष्ट्रीय सुरक्षा और जनता के भरोसे को खतरे में डालती है।" लश्कर से जुड़े मलिक जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल के तौर पर काम कर रहा था। वह गुप्त रूप से लश्कर की मदद कर रहा था। उसका भाई मलिक आसिफ नसीर लश्कर का आतंकवादी था, जो 2018 में मारा गया।

बाद में जांच में पता चला कि मलिक ने अपने भाई के मिशन को जारी रखा। उसने अपने पद का इस्तेमाल करके जम्मू-कश्मीर में हथियार, विस्फोटक और नशीले पदार्थों की तस्करी की। सीमा पार से हथियारों की तस्करी की जांच के दौरान 2021 में उनकी भूमिका सामने आई। मलिक कथित तौर पर GPS-आधारित ड्रॉप जोन की पहचान कर रहा था। पाकिस्तान में हैंडलर के साथ डिटेल्स शेयर कर रहा था। उसने पूरे क्षेत्र में लश्कर के गुर्गों को मदद की।

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