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'हमें अपने संविधान पर गर्व है, पड़ोसी देशों में देखिए क्या हो रहा'; नेपाल प्रोटेस्ट पर CJI गवई की टिप्पणी

Nepal Protest: सुप्रीम कोर्ट में प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर सुनवाई के दौरान CJI गवई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है। देखिए हमारे पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि नेपाल में क्या हुआ। इस दौरान जस्टिस विक्रम नाथ ने भी कहा कि बांग्लादेश में भी इसी तरह की स्थिति सामने आई थी

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Sep 10, 2025 पर 7:54 PM
'हमें अपने संविधान पर गर्व है, पड़ोसी देशों में देखिए क्या हो रहा'; नेपाल प्रोटेस्ट पर CJI गवई की टिप्पणी
Nepal Protest: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है

Nepal Protest: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने बुधवार (10 सितंबर) को नेपाल में जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों का हवाला देते हुए भारतीय संविधान की सराहना की। सुप्रीम कोर्ट में प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर सुनवाई के दौरान CJI गवई ने कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है। देखिए हमारे पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि नेपाल में क्या हुआ। इस दौरान जस्टिस विक्रम नाथ ने भी कहा कि बांग्लादेश में भी इसी तरह की स्थिति सामने आई थी।

बुधवार को पांच जजों की संविधान पीठ राष्ट्रपति और राज्यपालों के अधिकार क्षेत्र से जुड़े मामले पर सुनवाई कर रही थी। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट के दोनों वरिष्ठ जजों ने ये टिप्पणी की। युवाओं के विरोध-प्रदर्शन के आगे नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को मंगलवार (9 सितंबर) को इस्तीफा देना पड़ा। इसी विरोधी प्रदर्शनों का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे संविधान पर गर्व है।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में हुए ऐतिहासिक जनांदोलन का भी जिक्र किया, जिसने पीएम शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को गिरा दिया था। वह अभी भारत में हैं। न्यूज 18 के मुताबिक चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा, "हमें अपने संविधान पर गर्व है, देखिए पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है।" इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, "और बांग्लादेश में भी...।"

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी राष्ट्रपति के अधिकार के संदर्भ के मामले की सुनवाई के दौरान की। इसमें पूछा गया था कि क्या अदालतें राज्य विधानसभाओं में पारित विधेयकों पर विचार करने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा तय कर सकती हैं। सुनवाई के दौरान CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट पीठ ने नेपाल की गंभीर स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की।

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